विपक्षी दल संवैधानिक निकायों को निशाना बनाकर देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं: संतोष
विपक्षी दल संवैधानिक निकायों को निशाना बनाकर देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं: संतोष
पणजी, 24 दिसंबर (भाषा) भाजपा के महासचिव बी. एल. संतोष ने बुधवार को विपक्षी दलों पर संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुखों और उनके परिवारों को निशाना बनाकर इन संस्थाओं को नुकसान पहुंचाने और देश को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
संतोष ने लोकसभा अध्यक्ष और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की आलोचना का संदर्भ देते हुए यह बात कही।
पणजी के निकट ‘पाञ्चजन्य’ पत्रिका द्वारा आयोजित ‘‘विकसित भारत का रोडमैप: सुशासन संवाद’’ सम्मेलन के दौरान उनका साक्षात्कार लिया गया।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) ने कहा, ‘‘वे (विपक्षी दल) सिर्फ ओम बिरला (लोकसभा अध्यक्ष) की आलोचना ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे योग्यता के आधार पर चुने गए परिवारों को भी निशाना बना रहे हैं। ऐसे बेशर्म लोग आज विपक्ष में बैठे हैं। वे हद से ज्यादा गिर चुके हैं।’’
संतोष ने कहा कि वह कभी-कभी बिरला से मिलने जाते हैं और इस मुलाकात को एक संगठन महासचिव के रूप में अपना ‘‘कर्तव्य’’ बताते हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार की आलोचना का जिक्र करते हुए संतोष ने कहा, ‘‘उनकी बेटी और दामाद का इससे क्या लेना-देना है? उनके निजी विवरणों को बेवजह खंगाला जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष संवैधानिक निकायों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। वे न तो देश के साथ न्याय कर रहे हैं और न ही समाज के साथ। वे संवैधानिक निकायों को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे। यह कोई राजनीतिक विरोध नहीं है, यह देश में अस्थिरता लाने का प्रयास है।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा किसी भी प्रकार के राजनीतिक विरोध का सामना करने के लिए तैयार है, लेकिन यह एक ऐसी चीज है, जो देश को अस्थिर कर रही है, जिसकी सभी को निंदा करनी चाहिए।
संतोष ने कहा, ‘‘हम इसे दुख के साथ देख रहे हैं, लेकिन देश आगे बढ़ेगा।’’
भाजपा के भीतर विवादों को सुलझाने के बारे में बात करते हुए संतोष ने कहा, ‘‘पार्टी के पास शुभचिंतकों का एक बड़ा नेटवर्क है, जो अपनी राय देते हैं। यह नेटवर्क संगठन से परे है। हम उनकी राय को पूरी ईमानदारी से स्वीकार करते हैं।’’
संतोष ने कहा कि भाजपा अतीत की उपलब्धियों पर निर्भर नहीं रहती।
उन्होंने कहा, ‘‘बिहार जीतने के बाद, उसी मॉडल को बंगाल में दोहराया नहीं जा सकता। बंगाल, बंगाल है, केरल, केरल है, तमिलनाडु, तमिलनाडु है और पुडुचेरी, पुडुचेरी है। आप बिहार के मॉडल को वहां लागू नहीं कर सकते। हम बिहार (चुनावों) से सीखे गए सबक को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे।’’
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप

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