विपक्ष एसआईआर पर चर्चा की मांग पर कायम : दो बार के स्थगन के बाद रास साढ़े चार बजे तक स्थगित
विपक्ष एसआईआर पर चर्चा की मांग पर कायम : दो बार के स्थगन के बाद रास साढ़े चार बजे तक स्थगित
नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक बृहस्पतिवार को दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न साढ़े चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे की वजह से उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं चल पाए।
दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब उच्च सदन की बैठक पुन: शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आसन की अनुमति से अपनी बात रखते हुए कहा कि सदन के नेता जेपी नड्डा कह चुके हैं कि 2008 में मुंबई में ऐसी घटना होने के बाद सदन में जब चर्चा हुई थी तो उस समय प्रधानमंत्री ने नहीं, बल्कि गृह मंत्री ने जवाब दिया था।
खरगे ने कहा कि वह इस तथ्य को मानते हैं किंतु यहां सवाल इस बात का नहीं है कि चर्चा का जवाब कौन देगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा विरोध (गृहमंत्री अमित शाह की) इस बात से था कि मैं अकेला सबसे निबट लूंगा।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने शाह की इस टिप्पणी के खिलाफ कल अपनी बात रखी थी।
गौरतलब है कि पहलगाम हमले और उसके बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उच्च सदन में करीब 16 घंटे तक चली चर्चा का जवाब देने के लिए बुधवार को जब शाह खड़े हुए तो विपक्ष के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जवाब नहीं देने को लेकर भारी विरोध जताया और नारेबाजी की थी।
उसी समय शाह ने कहा था, ‘‘मेरे से जब निबट रहा है तो काहे को प्रधानमंत्री जी को बुला रहे हो। और तकलीफ होगी।’’
कल नेता प्रतिपक्ष ने शाह की इस टिप्पणी को पूरे सदन का अपमान बताते हुए विपक्षी सदस्यों के साथ बहिर्गमन किया था।
इसी टिप्पणी की ओर संकेत करते हुए खरगे ने आज कहा कि वह (शाह) अक्सर यह भी कहते हैं, ‘‘मैं आप सभी पर भारी हूं…तुम भारी हो पर हम डबल भारी हैं।’’
इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि कल विपक्षी सदस्य सदन में इसी बात को लेकर नारेबाजी कर रहे थे कि प्रधानमंत्री चर्चा का जवाब देने के लिए क्यों नहीं आये।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मंगलवार को एक घंटे 42 मिनट तक लोकसभा में इसी विषय पर चर्चा का जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि कल गृहमंत्री ने उच्च सदन में चर्चा का पूरा जवाब दिया और वह इस चर्चा का जवाब देने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
रीजीजू ने कहा कि आज सदन के नेता जे पी नड्डा ने भी इस ओर ध्यान दिलाया था कि 2008 में इसी प्रकार की चर्चा का जवाब राज्यसभा में तत्कालीन गृह मंत्री ने दिया था। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में पूरे मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी होती है और चर्चा का जवाब कौन देगा, यह सरकार तय करती है, कोई अन्य तय नहीं कर सकता।
इसके बाद जब विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे तब पीठासीन अध्यक्ष सस्मित पात्रा ने बैठक को शाम साढ़े चार बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पूर्व, सुबह 11 बजे बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उपसभापति ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की साझेदारी के तहत बुधवार को जीएसएलवी रॉकेट से ‘निसार’ उपग्रह को कक्षा में स्थापित किये जाने का जिक्र किया।
उपसभापति ने इसरो से संबद्ध वैज्ञानिकों, अधिकारियों और अन्य सभी लोगों तथा नासा की समन्वय टीम को अपनी, सदन की और पूरे देश की ओर से बधाई दी।
इसके बाद हरिवंश ने सदस्यों ने शून्यकाल तथा प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध करते हुए कहा कि सत्र की शुरूआत से गतिरोध के कारण करीब 30 घंटे का समय बर्बाद हो चुका है।
उन्होंने बताया कि उन्हें 28 नोटिस नियम 267 के तहत मिले हैं जिनमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), ओडिशा में महिलाओं और बच्चों के कथित उत्पीड़न, बंगाली कामगारों के साथ दूसरे राज्यों में कथित दुर्व्यवहार, छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25 फीसदी कर और जुर्माने के दुष्प्रभाव तथा उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के मुद्दे पर नियत कामकाज स्थगित कर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग की गई है।
उपसभापति ने कहा कि ये नोटिस आसन द्वारा पूर्व में दी गई व्यवस्था के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। नोटिस स्वीकार नहीं किए जाने पर विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और हंगामा करने लगे।
हरिवंश ने शून्यकाल के तहत नियत मुद्दा उठाने के लिए द्रमुक के पी विल्सन का नाम पुकारा। विल्सन अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा तेज हो गया।
हरिवंश ने सदस्यों से अपील की कि वे सदन को सुचारु रूप से चलने दें ताकि शून्यकाल के दौरान सांसद अपने मुद्दे उठा सकें। लेकिन हंगामा जारी रहने के कारण उन्होंने 11 बजकर 15 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही पुन: शुरू होते ही विपक्षी दलों के सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर चर्चा की अपनी मांग दोहराई और हंगामा करने लगे। पीठासीन अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की।
इसी दौरान सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि बुधवार को सदन में जब गृह मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा का जवाब देना शुरू किया, तो कुछ विपक्षी दलों के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।
उन्होंने दिसंबर 2008 में, मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही की ओर सदस्यों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने लोकसभा में आतंकवाद पर हुई बहस का जवाब दिया था और तत्कालीन गृह मंत्री ने राज्यसभा में चर्चा का जवाब दिया था।
नड्डा ने कहा कि उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया था कि यह तय करना सरकार का विशेषाधिकार है कि उसकी ओर से कौन बोलेगा।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए कल विपक्षी दलों की मांग स्पष्ट रूप से अनुचित थी और यह उनके दोहरे मानदंडों को दर्शाती है।’
इस बीच कुछ सदस्य नारे लगाते हुए आसन के समीप आ गए। हंगामे के चलते पीठासीन अध्यक्ष तिवाड़ी ने सदन की कार्यवाही तीन मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
भाषा माधव मनीषा मनीषा अविनाश
अविनाश

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