पहलगाम आतंकवादी हमला: पापा कहां हैं? मासूम के सवालों का क्या जवाब दे मां |

पहलगाम आतंकवादी हमला: पापा कहां हैं? मासूम के सवालों का क्या जवाब दे मां

पहलगाम आतंकवादी हमला: पापा कहां हैं? मासूम के सवालों का क्या जवाब दे मां

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Modified Date: April 24, 2025 / 03:23 PM IST
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Published Date: April 24, 2025 3:23 pm IST

कोलकाता, 24 अप्रैल (भाषा) हर बार जब उनका नन्हा बेटा नींद से उठता है तो अपनी तोतली आवाज में यही सवाल दोहराता है कि ‘‘पापा कहां हैं? क्या वह कहीं गए हैं?’’

मासूम के ये सवाल उसकी मां को झकझोर कर रख देते हैं, जिनका उसके पास कोई जवाब नहीं होता। वह सिर्फ आंसू बहा सकती है, उसके बेटे के ये शब्द उसके सूने मन को नश्तर की तरह चीरते हैं।

साढ़े तीन साल के बच्चे के पिता बितान अधिकारी को आतंकवादियों ने कश्मीर के पहलगाम की खूबसूरत वादियों में गोली मार दी।

छुट्टियां मनाने गए एक खुशहाल परिवार के लिए यह यात्रा जीवन भर के लिए दुःस्वप्न में बदल गई।

मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले अधिकारी कुछ साल पहले अपने परिवार के साथ फ्लोरिडा में बस गए थे। वह आठ अप्रैल को रिश्तेदारों से मिलने कोलकाता आए थे और हमले के समय अपने परिवार के साथ कश्मीर में छुट्टियां मना रहे थे।

अधिकारी की पत्नी शोहिनी ने एक समाचार चैनल को बताया, ‘‘उन्होंने हमें जुदा कर दिया।’’ ये कहते कहते उनकी आवाज भर्रा गई।

अधिकारी की पत्नी ने बताया, ‘‘उन्होंने पूछा कि हम कहां से हैं, फिर पुरुषों को अलग किया, उनका धर्म पूछा और उन्हें एक-एक करके गोली मार दी। मेरे पति की हत्या हमारे बच्चे के सामने ही कर दी गई। मैं उसे यह कैसे समझाऊं?’’

शोहिनी ने भर्राए गले से कहा, ‘‘मैं नहीं जानती कि अपने बेटे को कैसे बताऊं कि उसके पापा हमेशा के लिए दुनिया से चले गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह डर के मारे चौंककर जाग जाता है, मेरा हाथ पकड़ता है, मिन्नतें करता है और फिर पूछता है – ‘‘पापा कहां हैं?’’

कोलकाता में घर वापस आकर, दुख और भी गहरा हो गया है।

बितान न केवल एक अच्छे पति और पिता थे, बल्कि विदेश में रहने के बावजूद वह अपने बूढ़े और बीमार मां-बाप की पूरी सेवा करते थे।

उनके पिता, 87 वर्षीय बीरेश्वर अधिकारी और उनकी 75 वर्षीय मां माया अधिकारी, दोनों की ही सेहत ठीक नहीं है।

बितान ही उनके इलाज के लिए विदेश से पैसे भेजते थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें कभी भी दवा की कमी नहीं हो या फिर वे डॉक्टर से मिलने से चूक ना जाएं।

उनके एक शोक संतप्त रिश्तेदार ने कहा, ‘‘वह भले ही विदेश में रह रहे थे, लेकिन उन्होंने हमें कभी अपनी कमी महसूस नहीं होने दी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनकी (मां बाप) जांच से लेकर डॉक्टर की फीस का भुगतान करने तक, बितान ने सब कुछ संभाला। अब, उनकी देखभाल कौन करेगा?’’

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई। इनमें एक नेपाली और सऊदी अरब का विदेश पर्यटक भी शामिल था, जबकि कई अन्य घायल हो गए।

आतंकवादियों ने कथित तौर पर गैर-कश्मीरी पर्यटकों को अलग किया और उनसे उनके धर्म के बारे में पूछने के बाद उनकी हत्या कर दी। इस घटना की बर्बर प्रकृति ने राष्ट्रीय आक्रोश पैदा कर दिया है।

कोलकाता में जब पड़ोसी और रिश्तेदार अधिकारी परिवार को सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे, तो दर्द इतना गहरा था कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

उनकी पत्नी ने कहा, ‘‘मैं बस यही चाहती हूं कि कोई मेरे बेटे को बताए कि उसके पिता कभी वापस क्यों नहीं आएंगे। और मैं न्याय चाहती हूं – न केवल अपने पति के लिए, बल्कि उस दिन अपनी जान गंवाने वाले हर निर्दोष व्यक्ति के लिए।’’

तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने भी पीड़ित परिवार का साथ देते हुए न्याय के लिए सोशल मीडिया पर सार्वजनिक अपील की और केंद्र एवं राज्य सरकारों से मुआवजा देते समय बितान के माता-पिता की दुर्दशा पर विचार करने का आग्रह किया।

घोष ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘पूरी मुआवजा राशि केवल श्रीमती अधिकारी को नहीं दें। कृपया श्री बितान अधिकारी के माता-पिता को भी राशि दें। वे पूरी तरह से असहाय हैं। बितान की मृत्यु के बाद उनके माता-पिता और भी असहाय हो गए हैं। उन्हें भी वित्तीय सुरक्षा दी जानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि अगर बुजुर्ग माता-पिता जीवित नहीं होते, तो राशि स्वाभाविक रूप से बितान की पत्नी और बेटे को मिलती, लेकिन इस समय माता-पिता की स्थिति को देखें तो उन्हें तत्काल मदद, निजी तौर पर देखभाल की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि राज्य सरकार इस बिंदु पर गंभीरता से विचार करेगी। केंद्र सरकार को भी इसी तरह सोचना चाहिए।’’

भाषा सुरभि नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)