संसद और विधानमंडल संवाद व चर्चा के लिए, उपद्रव के लिए नहीं : धनखड़

संसद और विधानमंडल संवाद व चर्चा के लिए, उपद्रव के लिए नहीं : धनखड़

संसद और विधानमंडल संवाद व चर्चा के लिए,  उपद्रव के लिए नहीं : धनखड़
Modified Date: August 22, 2023 / 07:33 pm IST
Published Date: August 22, 2023 7:33 pm IST

जयपुर, 22 अगस्त (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संसद और विधानमंडल संवाद, बहस और विमर्श के लिए होते हैं, न कि उपद्रव के लिए।

धनखड़ ने कहा कि संविधान सभा के समक्ष अपेक्षाकृत अधिक जटिल मुद्दे होने के बावजूद वहां कोई व्यवधान नहीं हुआ था, जबकि आज जो स्थिति है, वह ‘चिंता और चिंतन’ का विषय है।

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में उपराष्ट्रपति एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

 ⁠

उन्होंने यह भी कहा कि देश में हर किसी को कानून के दायरे में रहना चाहिए, भले ही वह कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो या कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न हो।

उन्होंने छात्रों को अति-प्रतिस्पर्धा में न पड़ने की सलाह देते हुए कहा कि वे अपनी रुचि का कैरियर चुनें।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा का सभापति होने के नाते मैं अपनी पीड़ा व्यक्त करता हूं। हमें संविधान देने वाली संविधान सभा ने तीन साल तक कई बैठकें कीं। उन्‍होंने विचार विमर्श किया और उनके सामने जो मुद्दे थे, वे आज के मुद्दों की तुलना में काफी जटिल थे, लेकिन संविधान सभा में उन सबका निराकरण बातचीत से किया गया। क्‍योंकि लोकतंत्र में संसद और विधानमंडल संवाद, बहस और विमर्श के लिए होते हैं न कि उपद्रव व व्‍यवधान के लिए।’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘संविधान सभा में एक भी दिन, एक भी पल कोई व्यवधान नहीं हुआ, उपद्रव करने की बात तो अलग है। उस परिप्रेक्ष्य में आज की हालत ‘चिंता और चिंतन’ का विषय है…आप सबके लिए मंथन का विषय है।’’

देश की न्यायिक प्रणाली को मजबूत बताते हुए धनखड़ ने कहा कि किसी को भी सड़कों पर उतरकर न्याय मांगने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

सरकारी बयान के अनुसार कानून को सर्वोपरि रखने पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ लोग समझते हैं कि वे कानून से ऊपर हैं और जब कानून का शिकंजा उन पर कसता है तो वे सड़कों पर विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाते हैं। धनखड़ ने यह भी कहा किसी को भी राष्ट्र और हमारे संस्थाओं की छवि धूमिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें ‘हमेशा ऐसा काम करना चाहिए जिससे देश का नाम ऊपर हो। हर हालत में हमें देश को सर्वोपरि रखना होगा।’

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत की न्यायिक प्रणाली बहुत मजबूत है। उन्होंने कहा, ‘हमारी न्याय व्यवस्था बहुत मजबूत है। हाल के दिनों में निष्पक्षता से महत्वपूर्ण निर्णय दिए गए है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि हमारा विश्वास हमारी संस्थाओं में डिगे।’

उन्होंने युवाओं से कहा कि आप भाग्यशाली हैं कि ऐसे समय में जी रहे हैं जब भारत अभूतपूर्व प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘आज देश में ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया गया है कि आपके पास सिर्फ एक आईडिया होना चाहिए, आपको वित्त और मार्गदर्शन की कमी नहीं रहेगी,’

उन्होंने कहा और युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने आईडिया को अपने दिमाग में न रखें बल्कि उसे हकीकत में उतारने की हर संभव कोशिश करें। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को अति-प्रतिस्पर्धा में न पड़ने की सलाह दी और अपनी रुचि का करियर चुनने की सलाह दी।

नदी और नहर का उदाहरण देते उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा की बंधे किनारों वाली नहर ना बनें बल्कि स्वतंत्र नदी बनें जो अपना रास्ता स्वंय चुनती है।

युवाओं से निडर होकर आगे बढ़ने की अपील करते हुए धनखड़ ने कहा कि ‘असफलता के डर से डरिये मत! डर सबसे बड़ी बीमारी है जो मानवता के लिये हानिकर है।’

उपराष्ट्रपति ने भारत द्वारा नित रचे जा रहे कीर्तिमानों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है और आज हम अपने औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

उन्होंने छात्रों से आह्वान किया ‘आप 2047 के सिपाही हैं, आप हर प्रयास करें ताकि भारत आजादी की शताब्दी मनाते समय विश्व में शिखर पर पहुंचे।’

भाषा पृथ्वी रंजन

रंजन


लेखक के बारे में