संसद ने अप्रचलित और पुराने कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को दी मंजूरी
संसद ने अप्रचलित और पुराने कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को दी मंजूरी
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) संसद ने बुधवार को अप्रचलित और पुराने हो चुके 71 कानूनों को समाप्त करने या संशोधित करने के प्रावधान वाले ‘निरसन और संशोधन विधेयक, 2025’ को मंजूरी दे दी।
राज्यसभा ने इस विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के जवाब के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे कल ही पारित कर चुकी है।
उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मेघवाल ने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लगातार कानून बनाए जा रहे हैं, अनावश्यक कानूनों को निरस्त किया जा रहा है तथा कुछ कानूनों में आवश्यकतानुसार संशोधन किया जा रहा है।
मेघवाल ने कहा कि उक्त विधेयक गुलामी के अंशों से मुक्ति पाने, विकसित भारत, विरासत पर गर्व करने, एकजुट रहने और कर्तव्य भाव को बढ़ाने के प्रधानमंत्री मोदी के ‘पंच प्रण’ के तहत लाया गया है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से छह अधिनियमों को निरस्त किया जाएगा और 65 में संशोधन किया जाएगा।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते समय कांग्रेस के विवेक तन्खा द्वारा इसमें ‘औपनिवेशिक’ शब्द पर आपत्ति जताये जाने का जिक्र करते हुए मेघवाल ने कहा कि 1925 का भारतीय उत्तराधिकार कानून है, वह भारत की संसद में पारित नहीं है तो उसे औपनिवेशिक नहीं तो और क्या कहा जाए? उन्होंने इस कानून के एक प्रावधान को भेदभावपूर्ण बताया।
मेघवाल ने कहा कि इस कानून में प्रावधान है कि कलकत्ता, मद्रास और बंबई प्रेसिडेंसी के न्याय क्षेत्राधिकार की कोई वसीयत होगी तो उसमें हिंदू, सिख, जैन, बौध और पारसी समुदाय के लोगों को प्रशासन पत्र (प्रोबेट) लेना होगा, और यह काम मुस्लिम करेगा तो उसे प्रशासन पत्र नहीं लेना होगा।
कानून मंत्री ने कहा, ‘‘यह भेदभावपूर्ण प्रावधान था जिसे हम हटा रहे हैं। संविधान कहता है कि जाति, धर्म के आधार पर भेद नहीं होगा। कोई भेदभावपूर्ण प्रावधान है तो नरेन्द्र मोदी जी के शासन में किताबों (कानून की) में नहीं रह सकता।’’
उन्होंने कहा कि कुछ कानूनों में ‘रजिस्टर्ड पोस्ट’ का उल्लेख है किंतु अब रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा बंद हो चुकी है। अत: ऐेसे स्थानों पर ‘स्पीड पोस्ट’ लिखा जाएगा।
मेघवाल ने कहा कि मोदी सरकार ने सुधारों की प्रक्रिया में मई 2014 से अब तक 1,577 अप्रचलित कानूनों को निरस्त किया है, जिनमें 1,562 पूरी तरह समाप्त किये जा चुके हैं और 15 को संशोधित करके लागू किया।
उन्होंने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में किये जा रहे एक संशोधन पर कांग्रेस के एक सांसद की आपत्ति का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘इस अधिनियम में अनजाने में हुई गलती से ‘प्रिवेंशन’ (रोकथाम) शब्द हो गया, उसकी जगह हम ‘प्रेपरेशन’ (तैयारी करना) शब्द ला रहे हैं। सामान्य सा विधेयक है और हम केवल सुधार कर रहे हैं। इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है।’’
कानून मंत्री ने कहा कि विधेयक पर चर्चा कराने के दौरान कुछ सदस्यों ने न्यायाधीशों की नियुक्त का मुद्दा उठाया। मेघवाल ने कहा कि मोदी सरकार ने ही उच्चतम न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्तियां तेज गति से की है।
भाषा माधव मनीषा
मनीषा

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