‘पेपाल’ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी
‘पेपाल’ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी
नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) अमेरिकी ऑनलाइन भुगतान मंच ‘पेपाल’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के उस आदेश को बुधवार को खंडपीठ में चुनौती दी जिसमें कहा गया था कि ‘पेपाल धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘भुगतान प्रणाली परिचालक’ है और इसे कानून के तहत जानकारी देने से जुड़े नियम व शर्तों का पालन करना होगा।
‘पेपाल’ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश ‘गलत’ है।
अपीलकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने यह भी कहा कि भुगतान प्रणाली संचालक के मुद्दे पर उच्च न्यायालय के हालिया फैसले के मद्देनजर एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता है।
पीठ में न्यायाधीश संजीव नरूला भी शामिल हैं और इसने मामले को आगे की सुनवाई के लिए सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
एकल न्यायाधीश ने वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू)-भारत द्वारा ‘पेपाल’ पर लगाया गया 96 लाख रुपये का जुर्माना 24 जुलाई को निरस्त कर दिया था।
धन शोधन के खिलाफ कानून के तहत जानकारी देने से जुड़े नियम व शर्तों का कथित तौर पर अनुपालन नहीं करने को लेकर यह जुर्माना लगाया गया था।
एकल न्यायाधीश ने व्यवस्था दी थी कि ‘पेपाल’ पीएमएलए के तहत भुगतान प्रणाली परिचालक माने जाने योग्य है तथा उसे इस कानून के तहत जानकारी देने से जुड़े नियम व शर्तों का पालन करना होगा।
एकल न्यायाधीश ने यह आदेश ‘पेपाल’ की उस याचिका पर दिया था जिसमें उसने पीएमएलए के कथित उल्लंघन को लेकर उसपर एफआईयू द्वारा 96 लाख रुपया जुर्माना लगाये जाने को चुनौती दी थी।
एफआईयू ने 17 दिसंबर, 2020 को कंपनी को 45 दिन के अंदर जुर्माने का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
एफआईयू-भारत ने दिसंबर, 2020 के अपने आदेश में ‘पेपाल’ पर पीएमएलए का उल्लंघन करने और संदिग्ध वित्तीय लेन-देन ‘छुपाने’ का आरोप लगाया था।
भाषा नोमान मनीषा अजय
अजय

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