श्रीनगर, 12 मई (भाषा) पाकिस्तानी सेना की भारी गोलाबारी के कारण भागने को मजबूर हुए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के गांवों के लोग सोमवार को घर लौटने लगे।
अधिकारियों ने बताया कि बम निरोधक दस्तों द्वारा रिहायशी इलाकों से बचे हुए या बिना फटे हुए बमों को हटाने के बाद स्थानीय निवासी अपने गांवों की ओर वापस लौट आए।
उरी के कमलकोट इलाके के निवासी अरशद अहमद ने बताया, “हमें खुशी है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम हो गया है। हमें यह भी उम्मीद है कि पाकिस्तान फिर से ऐसी हरकतें नहीं करेगा।”
कुछ निवासियों ने देखभाल के लिए सेना और अन्य सुरक्षा बलों की प्रशंसा की।
नियंत्रण रेखा के पास उरी की निवासी महक खुर्शीद ने कहा, “भारतीय सेना ने शानदार काम किया। सेना को जवाब देना था और उसने यह बखूबी किया। वे (सेना के जवान) हमारे नायक हैं, वे हमेशा हमारी मदद करते हैं। अब भी, जब हम उरी वापस जा रहे हैं, तो उन्होंने जगह की अच्छी तरह से जांच की (गोलों के लिए)।”
उरी के विधायक सज्जाद शफी ने सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों के निवासियों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध चीज को न छूने की अपील की है।
शफी ने कहा, “उन्हें (स्थानीय निवासियों को) किसी भी संदिग्ध वस्तु की सूचना तुरंत अधिकारियों को देनी चाहिए, ताकि उसका उचित तरीके से निपटान किया जा सके।”
जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों ने रविवार को सीमावर्ती गांवों के निवासियों से कहा था कि वे जल्दबाजी में वापस न आएं, क्योंकि आवासीय क्षेत्रों की अब तक सफाई नहीं की गई है और किसी भी अज्ञात गोले को हटाया नहीं गया है।
बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा के पास के गांवों के 1.25 लाख से अधिक निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।
पाकिस्तानी गोलाबारी में उनके घरों को निशाना बनाए जाने का बहुत अधिक खतरा था, इसलिए इन लोगों को यहां से हटाया गया था।
पुलिस ने रविवार को एक परामर्श में बताया, “सीमावर्ती गांवों में वापस न लौटें। पाकिस्तानी गोलाबारी के बाद अज्ञात गोला-बारूद के बिखरे होने के कारण जान को खतरा हो सकता है।”
पुलिस ने बताया, “केवल 2023 में नियंत्रण रेखा के पास बचे हुए गोले के विस्फोटों में 41 लोगों की जान चली गई थी।”
बुधवार से अब तक कुल 25 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 18 पुंछ जिले में हुईं, पचास लोग भी घायल हुए हैं।
भाषा जितेंद्र सुरेश
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