गणेशपुर-देहरादून के बीच राजमार्ग विस्तार के लिए वन मंजूरी रद्द करने संबंधी याचिका खारिज |

गणेशपुर-देहरादून के बीच राजमार्ग विस्तार के लिए वन मंजूरी रद्द करने संबंधी याचिका खारिज

गणेशपुर-देहरादून के बीच राजमार्ग विस्तार के लिए वन मंजूरी रद्द करने संबंधी याचिका खारिज

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : October 8, 2021/4:33 pm IST

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गणेशपुर और देहरादून के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-72ए के 20 किलोमीटर खंड के विस्तार के लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी प्रथम चरण की मंजूरी को रद्द करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर अनुमति को वाजिब मंजूरी दी गई है तो इसके दायरे में पेड़ों को काटने को कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। पीठ ने कहा, ‘‘हम आवेदन पर विचार करने का कोई औचित्य नहीं पाते हैं। इसके अलावा, आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि जहां तक ​​परियोजनाओं का संबंध है, एक सरल प्रक्रिया लागू होती है। पहले चरण की मंजूरी को पेड़ काटने के लिए कार्यकारी अनुमति माना जाता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इस प्रकार, यदि अनुमोदन वैध रूप से प्रदान किया गया है तो अनुमति के दायरे में पेड़ों की कटाई को कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।’’ अधिकरण ने कहा कि यह दलील देना कि मंजूरी गलत तरीके से दी गयी है या जिस रिपोर्ट के आधार पर ईसी को मंजूरी दी गई है, वह तथ्यात्मक रूप से गलत है, इस पर विचार नहीं किया जा सकता है।

अधिकरण गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें गणेशपुर (उत्तर प्रदेश) और देहरादून (उत्तराखंड) के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-72ए के मौजूदा 20 किलोमीटर के खंड के विस्तार के लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी प्रथम चरण की मंजूरी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। एनजीओ ने दलील दी कि उक्त परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई 57.3278 हेक्टेयर वन भूमि तक शामिल है, जिसमें से 9.6224 हेक्टेयर बहुत उच्च घनत्व श्रेणी के जंगल के अंतर्गत आता है।

एनजीटी ने छह अक्टूबर के आदेश में कहा कि निस्संदेह, एक भी पेड़ का कटना चिंता का विषय है। साथ ही कहा, ‘‘कुछ स्थितियों में, जहां भी संभव हो, वनीकरण और स्थानान्तरण सहित सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए वैधानिक शर्तों के अनुपालन के अधीन, वैधानिक प्राधिकारों की मंजूरी के साथ, कानून के तहत पेड़ों को काटने की अनुमति है।’’

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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