नयी दिल्ली, नौ जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के दो नेताओं की अंतरिम जमानत अर्जियां सोमवार को यह कहते हुए निस्तारित कर दीं कि उन्हें इस मामले में निचली अदालत के आदेश का इंतजार करना चाहिए।
पीएफआई की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद परवेज अहमद और कार्यालय सचिव अब्दुल मुकीत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मामले में इस आधार पर अंतरिम जमानत की मांग की थी कि एजेंसी (ईडी) गिरफ्तारी से बाद 60 दिनों की निर्धारित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं कर पायी है और यह अवधि 21 नवंबर, 2022 को पूरी हो गयी थी।
उनके वकील मुजीब उर रहमान ने उच्च न्यायालय में कहा कि 17 दिसंबर, 2022 को वे (उनके मुवक्किल) वैधानिक जमानत पाने के वास्ते निचली अदालत गये थे। उन्होंने कहा कि अर्जी के लंबित रहने दौरान उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए।
उन्होंने कहा कि दो जनवरी को अभियोजन पक्ष जमानत आवेदनों पर जवाब नहीं दे पाया और निचली अदालत मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करने वाली है।
इसपर न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने यह कहते हुए दोनों याचिकाओं का निस्तारण कर दिया कि पहले निचली अदालत को इस मामले में फैसला करने दीजिए।
उच्च न्यायालय ने आवेदकों को शिकायत का समाधान नहीं होने पर इस अदालत में आने की छूट दी।
हालांकि ईडी ने दावा किया कि उसने निर्धारित वैधानिक अवधि के दौरान आरोपपत्र दाखिल कर दिया और निचली अदालत ने उसका संज्ञान भी ले लिया है।
उच्च न्यायायल में दायर अपनी याचिका में आरोपियों ने आरोप लगाया कि त्वरित सुनवाई के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया क्योंकि निचली अदालत ने उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दो हफ्ते की समय सीमा में उनके जमानत आवेदनों का निस्तारण नहीं किया।
ईडी ने निचली अदालत में कहा था कि आरोपियों ने पीएफआई के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर दान, हवाला, बैंकिंग मार्ग, आदि के मार्फत धनराशि संग्रहित की और उनका अवैध गतिविधियों में किया।
भाषा राजकुमार माधव
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