विचाराधीन कैदियों को ऑनलाइन माध्यम से पेश करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज

विचाराधीन कैदियों को ऑनलाइन माध्यम से पेश करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज

विचाराधीन कैदियों को ऑनलाइन माध्यम से पेश करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज
Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 pm IST
Published Date: October 11, 2022 5:11 pm IST

नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आरोपी को अदालत में पेश करना ‘आपराधिक व्यवस्था का मूल’ है और मंगलवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा गया था कि विचाराधीन कैदी को हर तारीख पर अदालत में पेश करना नियमित मामला नहीं होना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यह एक अच्छा विचार है लेकिन इसे लागू करने से व्यावहारिक तौर पर बहुत परेशानियां आएंगी।

न्यायमूर्ति ललित ने कहा, “ मैंने मुंबई की एक जेल का दौरा किया था और अब मुंबई जैसे शहर में वहां छह टर्मिनल (सिस्टम) हैं जो सुनवाई के दौरान एक आरोपी को ऑनलाइन माध्यम से पेश कर सकते हैं। वहां कई आरोपी हैं। एक समय पर सिर्फ छह व्यक्ति ही उसका फायदा ले सकते हैं।”

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पीठ ने न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी भी शामिल हैं।

पीठ ने वकील ऋषि मल्होत्रा को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

शुरू में मल्होत्रा ने कहा कि निचली अदालतों में यह नियमित मामला बन गया है कि विचाराधीन को समय समय पर अदालत में पेश करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि यह न्यायिक अधिकारियों, विचाराधीन कैदियों के साथ-साथ आम लोगों की जिंदगी को भी खतरे में डालता है।

पीठ ने कहा, “ यह एक अच्छा विचार है, लेकिन इसे लागू करने पर व्यरवहारिक तौर पर बहुत सी परेशानियां आएंगी।” पीठ ने कहा, “ एक आरोपी का अदालत जाना हमारी पूरी आपराधिक व्यवस्था का मूल है।”

विचाराधीन कैदियों को वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश करने की मल्होत्रा की मांग पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “ मान लीजिए कि कई आरोपी हैं जिन्हें ऑनलाइन माध्यम से भी पेश नहीं किया जा सकता है, इसका मतलब यह है कि वे सभी निचली अदालतें मामलों को स्थगित करने के लिए बाध्य होंगी।”

मल्होत्रा ने पीठ से कहा कि वह अपनी याचिका वापस लेंगे।

याचिकाकर्ता ने विचाराधीन कैदियों, खासकर गैंगस्टर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालतों में पेश करने की पैरवी करते हुए कहा था कि यह न्यायिक अधिकारियों और लोगों की सुरक्षा और आरोपी के अधिकार के बीच संतुलन बनाएगा।

याचिका में निचली अदालतों में हमले की कई घटनाओं का जिक्र था जिसमें पिछले साल सितंबर में दिल्ली की एक निचली अदालत में गोलीबारी की घटना का भी उल्लेख था। इस घटना में जेल में बंद एक गैंगस्टर समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी।

भाषा नोमान माधव

माधव


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