पुलिस-प्रशासन ने आंदोलनकारी छात्रों को भू-समाधि लेने से रोका
पुलिस-प्रशासन ने आंदोलनकारी छात्रों को भू-समाधि लेने से रोका
प्रयागराज, 27 सितंबर (भाषा) इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मंगलवार को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के उस समय हाथ पांव फूल गए जब फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों ने अनशन स्थल के पास गड्ढा खोदकर भू-समाधि लेने का प्रयास किया।
मंगलवार दोपहर आंदोलनकारी छात्रों ने धरना स्थल के पास पांच फुट गड्ढा खोदा और जब तक वहां तैनात पुलिसकर्मी कुछ समझ पाते छात्र उस गड्ढे में भू-समाधि लेने लगे। तभी पुलिस बल गड्ढे के पास पहुंचा और छात्रों को बलपूर्वक गड्ढे से बाहर निकालना शुरू किया।
छात्रों को गड्ढे से बाहर निकालने और अन्य छात्रों के गड्ढे में जाने का सिलसिला करीब आधे घंटे तक चलता रहा और इस दौरान प्रशासन से एडीएम सिटी और एसीएम (चतुर्थ) तथा पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्य में पुलिसकर्मियों का हाथ बंटाते रहे। छात्रों द्वारा फावड़ा कहीं छिपा दिए जाने की वजह से गड्ढे को पाटा नहीं जा सका।
करीब आधे घंटे बाद पुलिसकर्मी उस गड्ढे में उतर गए और गड्ढे को चारों ओर से घेर लिया। अंततः आंदोलनरत छात्रों ने पुलिसकर्मियों के हटने के बाद उस गड्ढे में पौधारोपण कर दिया।
एनएसयूआई से जुड़े आंदोलनरत छात्र आदर्श सिंह भदौरिया ने कहा कि फीस वृद्धि के खिलाफ छात्र मरने मिटने को तैयार हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन फीस वृद्धि वापस नहीं लेने के अपने रुख पर अड़ा है। कुलपति का यह बहुत ही तानाशाही रवैया है।
इस बीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों ने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति- राष्ट्रपति को पोस्टकार्ड के माध्यम से विश्वविद्यालय में चल रहे आंदोलन से अवगत कराने के लिए पत्र लिखा है।
पत्र में लिखा गया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अनैतिक रूप से 300 प्रतिशत फीस वृद्धि की गई है, जिससे सामान्य एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के बहुत से छात्र शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। पत्र में राष्ट्रपति से इस फीस वृद्धि को वापस लिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश संयोजक (खेल गतिविधि) कार्तिकेय पति त्रिपाठी ने कहा, “हमारी लड़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय की तानाशाह कुलपति से है क्योंकि इनके फैसले (फीस वृद्धि) से केंद्र और प्रदेश सरकार की छवि धूमिल हो रही है।”
उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि सरकार इस विषय को स्वतः संज्ञान में लेकर फीस वृद्धि को वापस लेने का निर्देश जारी करे।”
भाषा राजेंद्र राजेंद्र रंजन
रंजन

Facebook



