गर्भवती नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता बच्चे को जन्म देने के लिए राजी

गर्भवती नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता बच्चे को जन्म देने के लिए राजी

गर्भवती नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता बच्चे को जन्म देने के लिए राजी
Modified Date: August 19, 2025 / 05:06 pm IST
Published Date: August 19, 2025 5:06 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 30 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने की अपील करने वाली नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता ने बच्चे को जन्म देने पर सहमति जता दी है, जिसे जन्म के बाद गोद दे दिया जाएगा।

अपनी महिला रिश्तेदार के माध्यम से अदालत में याचिका दायर करने वाली 14 वर्षीय लड़की को उसके माता-पिता ने त्याग दिया था।

उसके रिश्ते के भाई ने उसके साथ दुष्कर्म किया और जिससे वह गर्भवती हो गई तथा वह वर्तमान में राजधानी के एक आश्रय गृह में रह रही है।

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न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने 18 अगस्त के आदेश में कहा कि पीड़िता को उसके माता-पिता दोनों ने छोड़ दिया था और दुष्कर्म के आरोपी की मां, उसकी महिला रिश्तेदार, ही एकमात्र अभिभावक थीं, जिनके साथ वह रहना चाहती थी।

अदालत ने कहा, “इन विशिष्ट परिस्थितियों के साथ, यह अदालत अत्यधिक सावधानी के साथ यह मानना उचित समझती है कि बच्ची को किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता होगी और सीडब्ल्यूसी को निर्देश दिया जाता है कि वह स्वतंत्र रूप से बच्ची के साथ बातचीत करे, उसकी राय जाने और अंतिम आदेश पारित करने से पहले इस बारे में इस अदालत को सूचित करे।”

पीड़िता और उसके अभिभावक मेडिकल बोर्ड की राय के बारे में परामर्श दिए जाने के बाद बच्चे को जन्म देने पर सहमत हो गए, जिसने उसकी जांच की और कहा कि चिकित्सा जटिलताओं को देखते हुए उसकी गर्भावस्था को समाप्त करना संभव नहीं है।

बोर्ड ने कहा कि प्रसव के लिए समय से पहले ‘सी-सेक्शन’ या गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति से भविष्य में प्रसूति संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा होंगी, और यदि ऐसा किया गया तो इससे भविष्य में उसकी प्रजनन संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान गर्भावस्था अवधि में बच्चा जीवित पैदा होगा और डॉक्टरों ने लड़की और उसके अभिभावक को गर्भावस्था समाप्त करने के परिणामों के बारे में सूचित कर दिया है।

बोर्ड ने अदालत को बताया कि नाबालिग और उसके अभिभावक अगले चार से छह सप्ताह तक गर्भावस्था जारी रखने के लिए तैयार हैं।

अदालत ने कहा कि बयानों के आधार पर गर्भावस्था जारी रहेगी और वह उनकी इच्छा के विरुद्ध गर्भपात का निर्देश नहीं दे सकती।

इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 20 अगस्त के लिए स्थगित कर दी, जब बाल कल्याण समिति अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

लड़की को अपनी गर्भावस्था के बारे में अगस्त की शुरुआत में डॉक्टर को दिखाने पर पता चला। तब तक वह 27 हफ़्ते की गर्भवती हो चुकी थी।

इसके बाद, जब डॉक्टरों ने एमटीपी अधिनियम के तहत वैधानिक प्रतिबंधों का हवाला दिया, जिसके तहत सामान्य मामलों में ऐसी प्रक्रियाओं को 20 सप्ताह तक सीमित कर दिया गया था, तथा बलात्कार पीड़ितों जैसी कुछ श्रेणियों में 24 सप्ताह तक सीमित कर दिया गया था, तो उन्होंने अदालत का रुख किया।

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश


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