President Murmu wishes for Sarhul: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी सरहुल पर्व की शुभकामनाएं, कहा – लोग लेंगे प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने की सीख
President Murmu wishes for Sarhul: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरहुल त्योहार की लोगों को बधाई दी है। सरहुल पर्व जनजातीय समुदाय द्वारा विशेष
President Murmu wishes for Sarhul/ Image Source- DD News
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरहुल त्योहार की लोगों को बधाई दी है।
- सरहुल पर्व जनजातीय समुदाय द्वारा विशेष उत्साह के मनाया जाता है।
- सरहुल पर्व आदिवासी समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण उत्सव में से एक है।
नई दिल्ली: President Murmu wishes for Sarhul: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरहुल त्योहार की लोगों को बधाई दी है। सरहुल पर्व जनजातीय समुदाय द्वारा विशेष उत्साह के मनाया जाता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने लोगों को शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई है कि, लोग विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने की सीख लेंगे।
President Murmu wishes for Sarhul: राष्ट्रपति मुर्मू ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट किया, “सभी देशवासियों को,जनजातीय समुदाय द्वारा विशेष उत्साह से मनाए जाने वाले ‘सरहुल’ त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं! इस पर्व पर, प्रकृति के असंख्य उपहारों के लिए कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। नव वर्ष के आगमन के प्रतीक इस त्योहार पर मैं सबके लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हूं। मेरी मंगल कामना है कि जनजातीय समुदायों से सीख ले कर, सभी देशवासी, प्राकृतिक विरासत का संरक्षण करते हुए विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ें।।”
सभी देशवासियों को,जनजातीय समुदाय द्वारा विशेष उत्साह से मनाए जाने वाले ‘सरहुल’ त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं! इस पर्व पर, प्रकृति के असंख्य उपहारों के लिए कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। नव वर्ष के आगमन के प्रतीक इस त्योहार पर मैं सबके लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हूं। मेरी मंगल…
— President of India (@rashtrapatibhvn) April 1, 2025
पूर्वी भारत में मनाया जाता है सरहुल पर्व
President Murmu wishes for Sarhul: बता दें कि, सरहुल पर्व आदिवासी समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण उत्सव में से एक है। विशेष रूप से ओडिशा, झारखंड और भारत के पूर्वी क्षेत्रों में इस त्योहर को मनाया जाता है। यह प्रकृति की पूजा पर आधारित है और इस दौरान साल के पेड़ों (शोरिया रोबस्टा) की पूजा की जाती है, जिसका आदिवासी परंपरा में बहुत महत्व है। माना जाता है कि साल के पेड़ में सरना मां का निवास है, जो प्रकृति की शक्तियों से गांवों की रक्षा करने वाली देवी हैं। सरहुल का अर्थ है “साल वृक्ष की पूजा”, यह पर्व सूर्य और पृथ्वी के प्रतीकात्मक मिलन का जश्न मनाता है। यह सांस्कृतिक प्रदर्शनों, पारंपरिक अनुष्ठानों और प्रकृति के भरपूर उपहारों के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति से भरा एक जीवंत त्योहार है।

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