राष्ट्रपति मुर्मू ने जयंत नार्लीकर और एम आर श्रीनिवासन के निधन पर शोक व्यक्त किया

राष्ट्रपति मुर्मू ने जयंत नार्लीकर और एम आर श्रीनिवासन के निधन पर शोक व्यक्त किया

राष्ट्रपति मुर्मू ने जयंत नार्लीकर और एम आर श्रीनिवासन के निधन पर शोक व्यक्त किया
Modified Date: May 20, 2025 / 06:17 pm IST
Published Date: May 20, 2025 6:17 pm IST

नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को खगोल वैज्ञानिक जयंत नार्लीकर और परमाणु वैज्ञानिक एम आर श्रीनिवासन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों महान वैज्ञानिकों का योगदान भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

मुर्मू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘खगोल वैज्ञानिक डॉ. जयंत नार्लीकर के निधन की खबर बेहद दुखद है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित वैज्ञानिक डॉ. नार्लीकर ने अपने कार्यों के माध्यम से एक अमिट छाप छोड़ी है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।

मुर्मू ने कहा, ‘विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के उनके जुनून ने बड़ी संख्या में लोगों, विशेषकर युवाओं को शिक्षित करने में मदद की। मैं उनके परिवार के सदस्यों, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।’

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पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि प्रख्यात खगोल वैज्ञानिक और पद्म विभूषण से सम्मानित नार्लीकर का मंगलवार को पुणे में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे।

एक अन्य पोस्ट में राष्ट्रपति ने श्रीनिवासन के निधन पर दुख व्यक्त किया तथा उनके परिवार के सदस्यों, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

मुर्मू ने कहा, ‘डॉ. एम.आर. श्रीनिवासन के निधन से अत्यंत दुःख हुआ, जिनका भारत के परमाणु ऊर्जा विकास कार्यक्रम में असाधारण योगदान रहा है।

उन्होंने कहा, ‘भारत की ऊर्जा सुरक्षा और वैज्ञानिक विकास में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी विरासत इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनके परिवार के सदस्यों, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’

देश के स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने वाले श्रीनिवासन का मंगलवार को तमिलनाडु के उधगमंडलम में निधन हो गया। उनके परिजनों ने यह जानकारी दी।

श्रीनिवासन 95 वर्ष के थे और उनके परिवार में उनकी पत्नी और बेटी हैं।

भाषा

शुभम नरेश

नरेश


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