सार्वजनिक उपक्रम ने सरकार को 52 रुपये की कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी 237 रुपये में बेची: सीबीआई एफआईआर

सार्वजनिक उपक्रम ने सरकार को 52 रुपये की कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी 237 रुपये में बेची: सीबीआई एफआईआर

सार्वजनिक उपक्रम ने सरकार को 52 रुपये की कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी 237 रुपये में बेची: सीबीआई एफआईआर
Modified Date: July 7, 2025 / 11:32 pm IST
Published Date: July 7, 2025 11:32 pm IST

नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक कथित खरीद घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से कीटनाशक युक्त मच्छरदानी की खरीद में अनियमितता सामने आई है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

बताया जा रहा है कि जिन मच्छरदानियों की कीमत प्रति नग 49 रुपये से 52 रुपये थी, उन्हें एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा बढ़ी हुई दरों- 228 से 237 रुपये प्रति नग— पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत काम करने वाली केंद्रीय चिकित्सा सेवा सोसाइटी (सीएमएसएस) को बेची गयी।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान इन्सेक्टिसाइड्स लिमिटेड (एचआईएल) ने सार्वजनिक खरीद मंच, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर मलेरिया नियंत्रण के लिए 11 लाख से अधिक लंबे समय तक चलने वाले कीटनाशक मच्छरदानी (एलएलआईएन) की आपूर्ति के लिए 2021-22 में केंद्रीय चिकित्सा सेवा सोसाइटी (सीएमएसएस) से 29 करोड़ रुपये का अनुबंध हासिल किया।

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अपनी स्वयं की विनिर्माण क्षमता न होने के बावजूद यह एकमात्र बोलीदाता था, जिसने 228-237 रुपये प्रति इकाई की दर लगाई थी।

एचआईएल ने इस कार्य का उप-ठेका सूचीबद्ध विक्रेताओं को दे दिया, जहां उन्होंने कच्चा माल और रसायन उपलब्ध कराए, जबकि विक्रेताओं ने उत्पादन और कीटनाशक उपचार का कार्य किया।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी शोभिका इम्पेक्स को दरकिनार करते हुए एचआईएल के अधिकारियों ने खरीद शृंखला शुरू की, जिसके तहत अंततः मोहिंदर कौर निटिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से ऑर्डर दिया गया, जबकि इस कंपनी के पास अपनी कोई विनिर्माण क्षमता नहीं थी।

प्राथमिकी के अनुसार, वास्तविक उत्पादन वीकेए पॉलिमर्स द्वारा किया गया था, जिसने जेपी पॉलिमर्स को 49 रुपये से 52 रुपये प्रति यूनिट की दर से मच्छरदानी बेची थी। जब तक उत्पाद बिचौलियों की इस शृंखला के माध्यम से एचआईएल तक पहुंचा, तब तक कीमत 87 रुपये से 90 रुपये प्रति इकाई तक पहुंच गई थी।

बदले में एचआईएल ने सीएमएसएस को 228 से 237 रुपये प्रति नग की दर से मच्छरदानी की आपूर्ति की, जिससे मूल्य में हेरफेर और रिश्वतखोरी का संदेह पैदा हो गया।

भाषा

प्रशांत सुरेश

सुरेश


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