पंजाब विधानसभा ने वित्तीय पैकेज पर केंद्र की उदासीनता के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया
पंजाब विधानसभा ने वित्तीय पैकेज पर केंद्र की उदासीनता के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया
चंडीगढ़, 29 सितंबर (भाषा) पंजाब विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर बाढ़ प्रभावित पंजाब के लिए विशेष वित्तीय पैकेज स्वीकृत करने में भाजपा नीत केंद्र सरकार की उदासीनता की निंदा की।
प्रस्ताव में, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा मुलाकात के लिए बार-बार किये गए अनुरोध का जवाब न देने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की भी निंदा प्रस्ताव में की गई। इसमें कहा गया है कि इससे (जवाब न दिये जाने से) राज्य के लोगों का अपमान हुआ और प्रदेश को आपदा का पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने से रोका गया।
सोमवार को प्रस्ताव पारित होने के दौरान भाजपा के दोनों सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे।
शुक्रवार को पेश किया गया यह प्रस्ताव ‘पंजाब के पुनर्वास’ पर चर्चा पूरी होने के बाद पारित कर दिया गया।
पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ था।
सत्र के अंतिम दिन सदन में चर्चा का समापन करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हाल ही में आई बाढ़ के कारण फसलों को 75 से 100 प्रतिशत तक हुए नुकसान के लिए 20,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फसलों को 33 से 75 और 26 से 33 प्रतिशत तक हुए नुकसान के लिए 10,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि घरों को हुई पूर्ण क्षति के लिए 1.20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
मान ने कहा कि नुकसान के आकलन के लिए विशेष गिरदावरी की जा रही है और बाढ़ प्रभावित परिवारों को दिवाली से पहले मुआवजा मिलना शुरू हो जाएगा।
बाढ़ के कारण खेतों में जमा हुई रेत हटाने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 7,200 रुपये दिए जाएंगे। जिन किसानों की कृषि भूमि का नदियों के कारण कटाव हुआ है, उन्हें प्रति हेक्टेयर 47,500 रुपये दिए जाएंगे।
उन्होंने केंद्र सरकार पर इस आपदा पर अपनी बात रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का समय न देने का आरोप लगाया।
हालांकि, मान ने कहा कि उन्हें मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का समय दिया गया है।
पंजाब की अपनी हालिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बाढ़ प्रभावित राज्य के लिए 1,600 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की थी, जो राज्य के पास पहले से मौजूद (राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के) 12,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है।
प्रस्ताव के अनुसार, पंजाब में 1980 के दशक के बाद इस साल सर्वाधिक विनाशकारी बाढ़ आई। 1988 में आई बाढ़ के कारण 34 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे।
प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्तमान आपदा ने पैमाने और विनाश के मामले में स्वतंत्र भारत में 1955 और 1978 की बड़ी बाढ़ त्रासदी को पीछे छोड़ दिया है। हालिया बाढ़ से 20 लाख से अधिक लोगों को विभिन्न तरीकों से नुकसान हुआ है, लगभग पांच लाख एकड़ क्षेत्र में लगी फसलें नष्ट हो गई हैं, पशुधन को भारी नुकसान हुआ है और निजी तथा सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को अपूरणीय क्षति हुई है।
आगे प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने व्यापक आकलन के बाद, इस अभूतपूर्व संकट से निपटने के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार से कम से कम 20,000 करोड़ रुपये के विशेष और पर्याप्त वित्तीय राहत पैकेज की औपचारिक मांग की है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि 1,600 करोड़ रुपये के घोषित पैकेज का एक हिस्सा भी अभी तक राज्य के खजाने में नहीं भेजा गया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह सदन पंजाब में दशकों में आई सबसे भीषण बाढ़ के मद्देनजर विशेष वित्तीय पैकेज स्वीकृत करने में भाजपा नीत केंद्र सरकार की उदासीनता की स्पष्ट रूप से निंदा करता है।’’
भाषा सुभाष मनीषा
मनीषा

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