नई दिल्ली: Lok Sabha Chunav 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने बयान से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बड़ा चुनानी हथियार थमा दिया है। राहुल ने जिस शक्ति से लड़ने की बात कहकर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था, उसे प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति से जोड़कर चुनावी मुद्दा बना दिया है। इससे पहले राजद नेता लालू प्रसाद यादव भी नरेंद्र मोदी के परिवार पर टिप्पणी करके विपक्षी खेमे को मुश्किल में डाल चुके हैं।
Lok Sabha Chunav 2024 (हिंदू हम लोग यहां उपस्थित सभी राजनीतिक दल न एक दल के खिलाफ लड़ रहे हैं या न किसी एक व्यक्ति के खिलाफ लड़ रहे हैं। हिंदू धर्म में शक्ति शब्द होता है हम एक शक्ति से लड़ रहे हैं. सवाल उठता है कि वह शक्ति क्या है। जैसे यहां किसी ने कहां राजा की आत्मा ईवीएम में है, हिंदुस्तान की हर संस्था में ईडी मे हैं, सीबीआई में हैं, हर संस्थान में हैं )
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और इस बोल वचन के साथ ही राहुल गांधी का एक और सेल्फ गोल। मुंबई में हुई इंडिया एलायंस की रैली में दिए भाषण में राहुल गांधी ईवीएम में जिस राजा की आत्मा होने की बात कह रहे थे, उस राजा ने राहुल गांधी के हिंदू धर्म की शक्ति को लेकर दिए गए दार्शनिक बयान को अपना चुनावी हथियार बनाने में 24 घंटे भी नहीं लिया..। तेलंगाना के जगतयाल की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शक्ति को हिंदुओं में आराध्य का दर्जा रखने वाली मातृ शक्ति से जोड़ते हुए राहुल गांधी को चुनावी अंजाम भुगतने की खुली चुनौती दे डाली..।
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(उनके घोषणा पत्र का ऐलान है कि मेरी (इंडिया ब्लॉक) लड़ाई शक्ति के खिलाफ है. पीएम मोदी ने कहा कि एक ओर शक्ति के विनाश की बात करने वाले लोग हैं और दूसरी तरफ शक्ति की पूजा करने वाले लोग हैं. उन्होंने कहा कि मुकाबला 4 जून को हो जाएगा कि कौन शक्ति का विनाश कर सकता है और कौन शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।)
प्रधानमंत्री मोदी के इन तेवरों से कांग्रेस ने भांप लिया कि तीर कमान से निकल चुका है, जो अब वापस नहीं आ सकता। लिहाजा कांग्रेस नेताओं ने एक ओर जहां राहुल के बयान को सही ठहराने की कोशिश की वहीं खुद राहुल गांधी को कुछ घंटे में ही अपने बयान पर सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ गया। राहुल ने एक्स पर पोस्ट करके प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाते हुए लिखा कि (जिस शक्ति का मैंने उल्लेख किया और जिस शक्ति से हम लड़ रहे हैं, उस शक्ति का मुखौटा मोदी जी हैं। वो एक ऐसी शक्ति है जिसने आज, भारत की आवाज को, भारत की संस्थाओं को, CBI, IT, ED को..चुनाव आयोग को मीडिया को, भारत के उद्योग जगत को , और भारत के समूचे संवैधानिक ढांचे को ही अपने चंगुल में दबोच लिया है।
बहरहाल लोकसभा चुनाव के पहले ये लगातार दूसरा मौका है जब विपक्ष ने खुद ही प्रधानमंत्री मोदी को उनका पसंदीदा हथियार थमाया है। इससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिना परिवार वाला बताकर इंडिया एलायंस की परिवारवादी पार्टियों के लिए मुसीबत खड़ी कर चुके हैं।
4 ये कोई पहला मौका नहीं है जब विपक्ष ने नरेंद्र मोदी पर निजी टिप्पणी करके खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। इतिहास गवाह है कि ‘मौत का सौदागर’, ‘नीच’, ‘चायवाला’ से लेकर ‘चोर’ तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई निजी टिप्पणियों की लंबी फेहरिस्त है जो चुनावों में मोदी विरोधियों के लिए आत्मघाती साबित हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी तो खुद ही ये दावा करते हैं कि उन्हें उन पर फेंके जाने वाले पत्थरों को सफलता की सीढ़ी बनाकर चढ़ने का फन आता है। परिवारवाद के बाद अब हिंदू शक्ति की आड़ लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर की गई टिप्पणी को जिस तरह से नरेंद्र मोदी ने भुनाने की कोशिश की है, उससे साफ जाहिर है कि वे एक बार फिर उन पर फेंके जा रहे पत्थरों को सफलता की सीढ़ी बनाने में जुट चुके हैं।
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