राहुल राजनीतिज्ञ के रूप में काफी परिपक्व हो गए हैं : अमर्त्य सेन

राहुल राजनीतिज्ञ के रूप में काफी परिपक्व हो गए हैं : अमर्त्य सेन

राहुल राजनीतिज्ञ के रूप में काफी परिपक्व हो गए हैं : अमर्त्य सेन
Modified Date: July 16, 2024 / 12:45 pm IST
Published Date: July 16, 2024 12:45 pm IST

(सुदीप्तो चौधरी)

बोलपुर (पश्चिम बंगाल), 16 जुलाई (भाषा) नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी समय के साथ ‘‘काफी परिपक्व हो गए’’ हैं लेकिन उनकी असल परीक्षा यह होगी कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की मौजूदा सरकार में संसद में विपक्ष का नेतृत्व कैसे करते हैं।

सेन (90) ने कहा कि राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने न केवल उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया, बल्कि देश के राजनीतिक परिदृश्य को भी समृद्ध किया है।

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उन्होंने पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के बोलपुर स्थित अपने पैतृक आवास पर ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष साक्षात्कार में इस बात का जिक्र किया कि कैसे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में छात्र के रूप में राहुल इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि जीवन में ‘‘वह क्या करना चाहते हैं’’ क्योंकि ‘‘उस समय राजनीति उन्हें आकर्षित नहीं करती थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह (राहुल) अब काफी परिपक्व व्यक्ति हैं। मैं उन्हें तब से जानता हूं जब वह ‘ट्रिनिटी कॉलेज’ के छात्र थे…वह कॉलेज जहां मैंने पढ़ाई की और बाद में उसमें ‘मास्टर’ बन गया। वह (राहुल) उस समय मुझसे मिलने आए थे और वह उस समय ऐसे व्यक्ति थे जो इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं थे कि वह क्या करना चाहते हैं। ऐसा लगता था कि उस समय उन्हें राजनीति पसंद नहीं थी।’’

‘भारत रत्न’ से सम्मानित सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेता को राजनीति में अपने शुरुआती दिनों में भले ही कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनमें काफी बदलाव आया है और उनका हालिया प्रदर्शन ‘‘असाधारण रूप से अच्छा’’ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘फिर उन्होंने (राहुल ने) राजनीति में कदम रखा और मुझे लगता है कि शुरुआत में उन्हें अपने पैर जमाने में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन उनका हालिया प्रदर्शन बहुत असाधारण रहा है और मैं इसकी बहुत सराहना करता हूं। बेशक, आप केवल अपने गुणों के आधार पर चुनाव नहीं लड़ सकते, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपका देश कैसा है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह राहुल गांधी में भारत के अगले प्रधानमंत्री को देखते हैं, सेन ने कहा कि ऐसी संभावनाओं का अनुमान लगाना कठिन है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात का जवाब नहीं दूंगा। यह समझना बहुत मुश्किल है कि लोग प्रधानमंत्री कैसे बनते हैं।’’

सेन ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘जब मैं दिल्ली में छात्र था, तब अगर कोई मुझसे पूछता कि मेरे सहपाठियों में से किसके प्रधानमंत्री बनने की संभावना सबसे कम है तो मैं मनमोहन सिंह का नाम लेता क्योंकि उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन फिर वह प्रधानमंत्री बने और मुझे लगता है कि वह एक बेहतरीन प्रधानमंत्री बने। इसलिए, इन चीजों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।’’

राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पहल का जिक्र करते हुए सेन ने कहा, ‘‘राहुल ने अच्छा काम किया है। मुझे लगता है कि यह यात्रा भारत और उनके लिए अच्छी रही। मुझे लगता है कि उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार किया है, खासकर वह राजनीति पर अपने विचारों को पहले की तुलना में कहीं अधिक स्पष्टता से व्यक्त करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब वह (राहुल) ट्रिनिटी आए थे, तब वह शायद एक विकास विशेषज्ञ बनने की कोशिश कर रहे थे और हमने इस बारे में बात की कि उन्हें क्या पढ़ना चाहिए। वह उस समय बहुत वाक्पटु थे, लेकिन राजनीति के संदर्भ में वह ऐसे नहीं थे। मगर अब वह राजनीति के मामलों में भी बहुत स्पष्ट तरीके से बात रखते हैं।’’

सेन ने कहा कि राहुल के नेतृत्व की गुणवत्ता में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव उनके भारतीय राजनीति की जटिलताओं को गहराई से समझने के कारण आया है और यह उस कांग्रेस पार्टी के लिए भी एक वरदान होगा, जिसका वह नेतृत्व करते हैं और उस संसद में देश के लिए भी वरदान होगा, जिसमें वह विपक्ष के नेता हैं।

सेन ने भारत में असमानता और सांप्रदायिकता के ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने में गांधी की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि वह ऐसे देश में विपक्ष का नेतृत्व कैसे करते हैं, जिसमें असमानता और सांप्रदायिकता में बहुत वृद्धि देखी गई है, खासकर बहुसंख्यक समुदाय द्वारा मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर व्यापक प्रभुत्व स्थापित करने के संबंध में। यह उनकी मुख्य भूमिका है और मुझे लगता है कि वह इसे अच्छी तरह से संभाल रहे हैं।’’

भाषा

सिम्मी नरेश

नरेश


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