बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा 100 प्रतिशत करने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे : वित्त मंत्री

बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा 100 प्रतिशत करने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे : वित्त मंत्री

बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा 100 प्रतिशत करने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे : वित्त मंत्री
Modified Date: August 12, 2025 / 04:57 pm IST
Published Date: August 12, 2025 4:57 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि भारतीय बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने से बाजार में अधिक कंपनियां आएंगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि बेहतर तकनीकों और स्वचालन से दावों के निपटान की प्रक्रिया तेज होगी, जिससे समय की बचत, लागत में कमी और क्षेत्र की समग्र दक्षता में सुधार होगा।

वित्त मंत्री ने बताया कि भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा बढ़ाने की घोषणा एक फरवरी 2025 को पेश आम बजट में की गई थी।

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सीतारमण ने कहा कि निवेश से जुड़े प्रावधान बीमा अधिनियम, 1938 के तहत आते हैं, जिसमें निवेश की सुरक्षा, तरलता और नीति धारकों के हितों के अनुरूप नियामकीय निगरानी पर जोर दिया गया है। इसके तहत बीमा कंपनियों को एक तय प्रतिशत राशि सरकारी प्रतिभूतियों और भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडाई) द्वारा निर्दिष्ट अन्य स्वीकृत प्रतिभूतियों में निवेश करना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा, ‘‘अधिनियम भारतीय बीमा कंपनियों को देश के बाहर निवेश की अनुमति नहीं देता। इस प्रकार, बीमा कंपनियों की सभी धनराशि का निवेश भारत में ही किया जाना जरूरी है।’’

वित्त मंत्री ने बताया कि बीमा क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता और पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा के लिए अधिनियम हर बीमा कंपनी को अपनी देनदारियों से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक परिसंपत्तियां रखने को बाध्य करता है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सभी बीमा कंपनियां कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत बोर्ड-शासित संस्थाएं हैं और उन्हें शासन से संबंधित सभी मामलों में इसके प्रावधानों का पालन करना जरूरी है। इसके अलावा, भारतीय बीमा कंपनियां (विदेशी निवेश) नियम, 2015 के तहत लाभांश भुगतान, मुनाफे की वापसी और निदेशक मंडल की संरचना जैसे परिचालन के विभिन्न पहलुओं का निर्धारण होता है।

सीतारमण ने कहा, ‘‘ये सभी प्रावधान और तंत्र भारत में बीमा कारोबार के संचालन के लिए पर्याप्त जांच और संतुलन सुनिश्चित करते हैं और एक तरह से सुरक्षा कवच का काम करते हैं।’’

एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि हाल ही में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 10ए (उपधारा 2ए (आई)) में संशोधन के बाद सहकारी बैंकों के निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) का अधिकतम लगातार कार्यकाल आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है। यह प्रावधान एक अगस्त 2025 से लागू हो गया है।

भाषा मनीषा माधव

माधव


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