राज्यसभा में हंगामे की भेंट चढ़े शून्यकाल और प्रश्नकाल, बैठक दो बजे तक स्थगित

राज्यसभा में हंगामे की भेंट चढ़े शून्यकाल और प्रश्नकाल, बैठक दो बजे तक स्थगित

राज्यसभा में हंगामे की भेंट चढ़े शून्यकाल और प्रश्नकाल, बैठक दो बजे तक स्थगित
Modified Date: August 7, 2025 / 11:35 am IST
Published Date: August 7, 2025 11:35 am IST

नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस आसन द्वारा खारिज किए जाने के विरोध में विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के दस मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।

हंगामे की वजह से सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया।

उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने बताया कि विभिन्न मुद्दों पर नियत कामकाज स्थगित कर चर्चा करने के लिए उन्हें नियम 267 के तहत 25 नोटिस मिले हैं।

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उपसभापति ने बताया कि ये नोटिस पूर्व में दी गई व्यवस्था के अनुरूप नहीं पाए गए अत: इन्हें खारिज कर दिया गया है। इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

हरिवंश ने सदस्यों से शांत रहने की अपील की तथा 2021 में आसन द्वारा दी गई व्यवस्था का अंश भी सुनाया। उन्होंने कहा कि वह नियमों के अनुसार चल रहे हैं। इस बीच हंगामा करते हुए कुछ सदस्यों ने अपने स्थानों से आगे आकर नारेबाजी शुरू कर दी।

हरिवंश ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘जिन सदस्यों ने शून्यकाल में अपनी बातें रखने के लिए स्वीकृति ली है, मैं उनका नाम पुकार रहा हूं। शून्यकाल सदस्यों के लिए अहम है।’’

हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि आज तक सदन में सदस्यों के पास 180 तारांकित प्रश्न पूछने, शून्यकाल के तहत 180 मुद्दे उठाने और विशेष उल्लेख के जरिये लोक महत्व के इतने ही मुद्दे उठाने का अवसर था लेकिन लगातार व्यवधान के कारण अब तक केवल 13 तारांकित प्रश्न, शून्यकाल के तहत पांच मुद्दे और केवल 17 विशेष उल्लेख ही हो पाए हैं।

हरिवंश ने कहा, ‘‘वर्तमान सत्र में अब तक हम 51 घंटे 30 मिनट बर्बाद कर चुके हैं।’’

उपसभापति ने पुन: सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और शून्यकाल चलने देने की अपील की। सदन में व्यवस्था न बनते देख उन्होंने 11 बजकर दस मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी।

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ है और तब से आज तक विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन में एक बार भी शून्यकाल तथा प्रश्नकाल नहीं हो पाया है।

भाषा मनीषा वैभव

वैभव


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