राज्यसभा : सदस्यों ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण की जरूरत पर दिया जोर

राज्यसभा : सदस्यों ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण की जरूरत पर दिया जोर

राज्यसभा : सदस्यों ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण की जरूरत पर दिया जोर
Modified Date: December 5, 2025 / 05:48 pm IST
Published Date: December 5, 2025 5:48 pm IST

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि ऐसे अपराध जीवन भर पीड़ितों को परेशान करते रहते हैं और उनका स्वाभाविक विकास भी प्रभावित होता है।

इसके साथ ही कई सदस्यों ने पारपंरिक पारिवारिक ढांचा और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने की जरूरत पर भी बल दिया और कहा कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चों द्वारा मोबाइल फोन के अति उपयोग को लेकर भी सदस्यों ने चिंता जतायी।

सदस्यों ने यह राय राकांपा-एसपी सदस्य फौजिया खान के निजी विधेयक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2024 पर उच्च सदन में हुई चर्चा में भाग लेते हुए जाहिर की।

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माकपा के जॉन ब्रिटास ने कहा कि मूल कानून 2012 में लागू हुआ था और इसमें विभिन्न बातों के अलावा त्वरित न्याय की बात की गयी थी लेकिन ऐसी विशेष अदालतों में एक लाख से भी अधिक मामले लंबित हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे स्वास्थ्य, बच्चों की सुरक्षा जैसे मदों में अधिक राशि खर्च करने की जरूरत है।

उन्होंने इस संबंध में जागरूकता फैलाए जाने पर जोर दिया और कहा कि 70-80 प्रतिशत मामले सामने नहीं आते।

भाजपा के अजीत गोपछड़े ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा संवेदनशील विषय है और सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। उन्होंने मूल कानून के दुरूपयोग को लेकर चिंता भी जतायी।

भाकपा सदस्य संदोष कुमार पी ने विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन करते हुए कहा कि मौजूदा समस्या पर काबू के लिए यह अहम है। उन्होंने कहा कि कानून का दुरुपयोग होना भी चिंता की बात है, खासकर वैवाहिक मामलों में कई बार ऐसा देखा गया है।

भाजपा सदस्य अनिल बोंडे ने कहा कि बच्चों का संरक्षण कोई राजनीतिक विषय नहीं है और यह बच्चों की सुरक्षा एवं गरिमा से जुड़ा महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज नहीं सुधरता, कानून में कितने भी संशोधन कर लिए जाएं, समस्या पर काबू नहीं पाया जा सकता।

उनकी ही पार्टी के बृजलाल ने कहा कि इस समस्या पर काबू पाने के लिए कानून का पालन महत्वपूर्ण है। प्रस्तावित संशोधनों से असहमति जताते हुए उन्होंने कहा कि कानून के मौजूद प्रावधान पर्याप्त हैं। उन्होंने कानून के प्रभावी कार्यान्वयन पर बल देते हुए कहा कि अभिभावकों की भी जिम्मदारी है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें।

भाजपा के ही भीम सिंह ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि मौजूदा कानून पर्याप्त हैं। उन्होंने विधेयक को ‘‘समय की बर्बादी’’ करार देते हुए कहा कि सरकार समय-समय पर संशोधन करती रहती है और नए नियम बनाए जाते हैं।

आम आदमी पार्टी (आप) की सदस्य स्वाति मालीवाल ने विधेयक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रस्तावित प्रावधान प्रगतिशील हैं।

निजी विधेयक पर चर्चा अधूरी रही।

भाषा अविनाश मनीषा

मनीषा


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