केरल में 'रामायण माह' की शुरुआत, हाथियों के लिए 'अनायुतु' भोज का आयोजन | 'Ramayana Month' begins in Kerala, 'Anayutu' banquet for elephants held

केरल में ‘रामायण माह’ की शुरुआत, हाथियों के लिए ‘अनायुतु’ भोज का आयोजन

केरल में 'रामायण माह' की शुरुआत, हाथियों के लिए 'अनायुतु' भोज का आयोजन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : July 17, 2021/12:57 pm IST

तिरुवनंतपुरम, 17 जुलाई (भाषा) केरल में सदियों पुरानी परंपरा को जारी रखते हुए प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी शनिवार को ‘रामायण माह’ का आयोजन शुरू हुआ और लोगों ने मंदिरों और घरों में महाकाव्य के श्लोकों का जाप किया।

केरल में प्रचलित मलयालम पंचांग के अंतिम महीने ‘कर्किडकम’ को रामायण माह के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद ‘चिंगम’ की शुरूआत होती है जिसमें मलयाली लोगों के सबसे प्रसिद्ध त्योहार ‘ओणम’ आता है।

परंपरा के अनुसार, घरों के बुजुर्ग अगले 30 दिनों तक अपने घरों में जलते हुए दीपों के सामने ‘अध्यात्म रामायण’ के श्लोकों का जाप करते हैं। इस दौरान मंदिरों और सांस्कृतिक संगठनों की ओर से रामायण के पाठ की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस बार कोविड-19 संबंधी पाबंदियों के कारण ऐसा नहीं हो रहा।

इस अवसर पर परंपरा के तहत चावल और औषधीय जड़ी बूटियों को मिलाकर एक विशेष मसालेदार व्यंजन ‘कारकीदका कांजी’ तैयार किया जाता है, जिसे लोगों को परोसा जाता है।

इस अवधि के दौरान हिंदू ‘नालम्बलम दर्शनम’ के तहत कोट्टयम और त्रिशूर जिलों में स्थित भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के चार मंदिरों की तीर्थयात्रा करते हैं।

कर्किडकम के दौरान त्रिशूर के वडक्कुमनाथन मंदिर में हाथियों के लिए आयुर्वेदिक परंपरा के अनुसार तैयार किया गया भोजन उन्हें परोसा गया। इस उत्सव को ‘अनायुतु’ कहते हैं। मंदिर के सूत्रों के मुताबिक कोविड-19 संबंधी पाबंदियों के कारण इस बार केवल 15 हाथियों को ही इस उत्सव में शामिल किया गया । आम तौर पर इसमें 70 हाथियों को शामिल किया जाता है।

हाथियों को स्नान कराने के बाद उन्हें चंदन का लेप और सिंदूर लगाया गया। उसके बाद हाथियों को मंदिर के दक्षिणी मीनार के सामने खड़ा किया गया और उन्हें गन्ना, चावल, घी, नारियल, गुड़ और आयुर्वेदिक दवाएं खिलाई गईं।

भाषा रवि कांत अविनाश

अविनाश

 

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