Ratan Tata Passes Away: नहीं रहे रतन टाटा, देश के लिए किए ये 5 बड़े काम जिन्हे नहीं भूल पाएंगे लोग

Ratan Tata Passes Away: बुधवार की शाम में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई थी। जिसके कुछ घंटे बाद ही खबर आई कि उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है।

Ratan Tata Passes Away: नहीं रहे रतन टाटा, देश के लिए किए ये 5 बड़े काम जिन्हे नहीं भूल पाएंगे लोग

Ratan Tata Story

Modified Date: October 10, 2024 / 12:18 am IST
Published Date: October 10, 2024 12:18 am IST

मुंबई। Ratan Tata Passes Away देश के जाने माने उद्योगपति रतनजी टाटा का निधन आज मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हो गया है। बता दें कि वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उनका मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था।

28 दिसंबर 1937 में जन्मे रतन टाटा देश के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में शुमार रहे हैं, इसके अलावा समाज की सेवा में इनका अहम योगदान रहेगा।

दरअसल, बुधवार की शाम में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई थी। जिसके कुछ घंटे बाद ही खबर आई कि उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है। रतन टाटा का जाना देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। हालांकि उन्हें देश कभी भूल नहीं पाएगा। उन्होंने देश के एक से बढ़कर एक काम किए।

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टाटा ग्रुप को ऊंचाईयों पर पहुंचाने में रतन टाटा की सबसे बड़ी भूमिका रही। इन्‍होंने देश और आम लोगों के लिए कई ऐसे काम किए, जिसके लिए उन्‍हें हमेशा याद किया जाता रहेगा। रतन टाटा एक दरियाद‍िली इंसान थे और मुसीबत में देश के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

Ratan Tata Passes Away भारतीय इतिहास में रतन टाटा का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। भारत में जब भी उद्योगपतियों का जिक्र होगा। सबसे पहले रतन टाटा का नाम लिया जाएगा। उन्होंने अपने जीवन की सार्थक यात्रा में बहुत से ऐतिहासिक काम किए।

दरअसल, रतन टाटा को भारतीय उद्योग का पितामह भी कहा जाता है। अपने व्यक्तित्व से उन्होंने लोगों को प्रभावित किया। रतन टाटा ने इस दुनिया को कई बहुमूल्य उपहार दिए। उनका योगदान आज भारत समेत पूरे विश्व के लिए एक नजीर है। यूं तो देश निर्माण में रतन टाटा के अनगिनत योगदान हैं, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन इनमें से कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने समय की परिधि पर अमिट छाप छोड़ दी है।

कोविड-19 के समय 500 करोड़ की सहायता

जिस समय पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा था, उस समय भारत भी हेल्थ संकटों से लड़ रहा था। इस संकट के समय में रतन टाटा सामने आए और उन्होंने 500 करोड़ रुपये की देश को सहायता दी। उन्होंने एक्स (x) पर लिखा था, कोविड-19 हमारे सामने आने वाली सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है। टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह की कंपनियां अतीत में भी देश की जरूरतों के लिए आगे आईं हैं। इस समय आवश्यकता किसी भी अन्य समय से अधिक है।

जानवरों के लिए खोल अस्पताल

रतन टाटा अपने सौम्य स्वभाव और उदार दिल के लिए जाने जाते थे। उनको कुत्तों से बड़ा लगाव रहा। अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने कुत्तों के लिए एक हास्पिटॉल खोला। उन्होंने हॉस्पिटल खोलते समय कहा था कि मैं कुत्तों को अपने परिवार का हिस्सा मानता हूं। रतन टाटा ने आगे कहा था कि मैं जीवन कई पेट्स रखे हैं। इस वजह से मुझे हॉस्पिटल की अहमियत पता है। उनके द्वारा नवी मुम्बई बनाया गया अस्पताल 5 मंजिला है, जिसमें 200 पालतू जानवरों का एक साथ इलाज किया जा सकता है। इसको 165 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। रतन टाटा को कुत्तों से कितना नेह है उसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि एक बार एक कुत्ते को वो यूनिवर्सिटी ऑफ मिनिसोटा लेकर गए थे। जहां कुत्ते का जॉइंट रिप्लेसमेंट किया गया था।

छोटी कार को बाजार में उतारा

टाटा ग्रुप पहले केवल बड़ी गाड़ियों के निर्माण के लिए जाना जाता था। लेकिन 1998 रतन टाटा ने छोटी गाड़ियों की दुनिया में भी उतरने का फैसला लिया और उन्होंने टाटा इंडिका (Tata Indica) को बाजार में लॉन्च किया। टाटा इंडिका पूरी तरह से एक स्वदेशी कार थी। जिसको लोगों ने खूब पसंद किया और इसने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ कर बाजार में नया कीर्तिमान को स्थापित कर दिया। उसके लगभग एक दशक बाद टाटा ने एक और प्रयोग किया और वो 2008 में बाजार में नैनो कार लेकर आए, जिसकी कीमत एक लाख रुपये से भी कम थी।

फोर्ड मोटर्स को खरीदा

कहते हैं अगर मन में ठान लें तो कोई लक्ष्य बड़ा नहीं होता, टाटा इंडिका इतना ब्रेकडाउन हो रही थी कि साल 1999 में टाटा ने उसे बेचने का फैसला कर लिया। ये जज्बे से भरे रतन टाटा के लिए एक बहुत बड़ा झटका था। उसी समय वो बिल फोर्ड को अपनी कार की कंपनी बेचना चाहते थे। लेकिन बिल फोर्ड ने तंज कसते हुए कहा कि जब पैसेंजर कार बनाने का कोई अनुभव नहीं था तो ये बचपना क्यों किया। ये बात उनको चुभ गई और उन्होंने कंपनी को बेचने से इनकार कर दिया। एक दशक बाद वक्त ने करवट ली और फोर्ड मोटर्स की हालत खराब हो गई। जिस वजह से फोर्ड को बेचना और उसे रतन टाटा ने खरीद लिया।

टीसीएस दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी

भारत में जब भी सॉफ्टवेयर कंपनी का जिक्र करते ही लोगों की जुबान से सबसे पहले टीसीएस का ही नाम आता है। टीसीएस दुनिया की सबसे बड़ी सूचना तकनीकी और बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेवा देने वाली कंपनियों में से एक है। जिसने तकनीक के क्षेत्र में अहम योगदान के साथ-साथ बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी किया।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com