जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एकीकृत राजनीतिक दृष्टिकोण की जरूरत: गुलाम नबी आजाद

जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एकीकृत राजनीतिक दृष्टिकोण की जरूरत: गुलाम नबी आजाद

जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एकीकृत राजनीतिक दृष्टिकोण की जरूरत: गुलाम नबी आजाद
Modified Date: July 26, 2025 / 10:16 am IST
Published Date: July 26, 2025 10:16 am IST

जम्मू, 26 जुलाई (भाषा) डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एकीकृत राजनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया है।

आजाद ने जम्मू-कश्मीर में विकास की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जहां केंद्र सरकार की परियोजनाएं आगे बढ़ रही हैं, वहीं राज्य स्तर की परियोजनाएं “पूरी तरह ठप” पड़ी हैं।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने संसद में इसका (राज्य का दर्जा) वादा किया है। कुछ गलतियां होती गईं जिससे देरी हुई। पहले, सरकार के समक्ष मांग रखी जानी चाहिए लेकिन लोग तुरंत सड़कों पर उतर आते हैं।”

 ⁠

आजाद ने कहा कि इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए।

उन्होंने राज्य के दर्जे की मांग को लेकर जारी प्रदर्शनों पर कहा, “प्रदर्शन दो तरह के होते हैं। पहला प्रतीकात्मक और दूसरा लक्ष्य आधारित लेकिन सड़कों पर उतरने से पहले राजनीतिक नेतृत्व को दिल्ली से बात करनी चाहिए थी। इस मामले पर हमें एकजुटता चाहिए, बिखराव नहीं।”

उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर विभिन्न समुदायों एवं क्षेत्रों के बीच व्यापक सहमति है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा विधानसभा में विशेष सत्र बुलाए जाने का स्वागत करते हुए आजाद ने कहा कि विधानसभा सभी दलों का साझा मंच है और इस मुद्दे को पक्षपाती नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति बनाए जा सकने की अटकलों को लेकर कहा, “यह सिर्फ अफवाह है। संवैधानिक पदों को सड़कों पर चर्चा का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।”

उन्होंने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) संबंधी सवालों का सीधा जवाब देने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बहस का विषय है और इसे संसद में उठाए जाने की संभावना है।

आजाद ने जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्रीय परियोजनाएं तो प्रगति पर हैं लेकिन राज्य स्तरीय पहल पूरी तरह से रुकी हुई हैं।

भाषा राखी सिम्मी

सिम्मी


लेखक के बारे में