जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित होने वाली महिलाओं में ग्रामीण महिलाएं शामिल: सरकार
जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित होने वाली महिलाओं में ग्रामीण महिलाएं शामिल: सरकार
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) सरकार ने मंगलवार को संसद को बताया कि जलवायु परिवर्तन महिलाओं पर काम का बोझ बढ़ा रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उनपर यह जोखिम ज्यादा बढ़ रहा है।
पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारत द्वारा 2023 में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु संस्था को प्रस्तुत किये गए तीसरे राष्ट्रीय प्रतिवेदन में यह उल्लेख किया गया है कि जलवायु की चरम स्थितियां और जलवायु परिवर्तन महिलाओं पर काम के बोझ को बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अनियमित वर्षा की बार-बार होने वाली घटनाएं और चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती संभावना कृषि उपज के नुकसान का कारण बन सकती हैं।
पर्यावरण राज्य मंत्री ने कहा कि फसल के नुकसान से महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित होती हैं, क्योंकि फसल अक्सर उनकी आजीविका और आय का एकमात्र स्रोत होती है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आमतौर पर उन क्षेत्रों को प्रभावित करता है, जो पारंपरिक रूप से ग्रामीण महिलाओं से जुड़े होते हैं, जैसे धान की खेती, कपास और चाय के बागान और मछली पालन।
सरकार के अनुसार, भारत में कुल महिला कार्यबल का लगभग 65 प्रतिशत कृषि में कार्यरत है, जो जलवायु के प्रति सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।
मंत्री ने कहा कि देश में लगभग 30 प्रतिशत किसान और लगभग 43 प्रतिशत कृषि श्रमिक महिलाएं हैं।
सरकार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से महिलाओं को होने वाले खतरे को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कम करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं।
इनमें जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मातृ एवं शिशु ट्रैकिंग प्रणाली शामिल हैं।
सरकार ने कहा कि ये योजनाएं जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रति महिलाओं की संवेदनशीलता और जोखिम को कम करती हैं, साथ ही उनकी अनुकूलन क्षमता को बढ़ाती हैं।
भाषा सुभाष सुरेश
सुरेश

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