सलवा जुडूम पर फैसला मेरा नहीं, उच्चतम न्यायालय का है: शाह की आलोचना पर सुदर्शन रेड्डी
सलवा जुडूम पर फैसला मेरा नहीं, उच्चतम न्यायालय का है: शाह की आलोचना पर सुदर्शन रेड्डी
(संजीव चोपड़ा)
नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से सलवा जुडूम पर फैसले को लेकर नक्सलवाद का ‘समर्थन’ करने का आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद शनिवार को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी.सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि वह इस मामले में नहीं पड़ना चाहते। रेड्डी ने कहा कि यह फैसला उनका नहीं, बल्कि उच्चतम न्यायालय का था।
शाह ने एक दिन पहले विपक्ष के उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार रेड्डी पर तीखा हमला किया था।
रेड्डी ने न्यायमूर्ति एस.एस. निज्जर के साथ उच्चतम न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने जुलाई 2011 में सलवा जुडूम को भंग करने का आदेश दिया था और कहा था कि माओवादी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासी युवाओं का विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में इस्तेमाल करना गैरकानूनी और असंवैधानिक है।
इस फैसले का हवाला देते हुए गृह मंत्री शाह ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पर नक्सलवाद का ‘समर्थन’ करने का आरोप लगाया और कहा कि अगर यह नहीं हुआ होता तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक खत्म हो गया होता।
रेड्डी ने कहा कि अगर शाह ने पूरा फैसला पढ़ा होता, तो वे यह टिप्पणी नहीं करते।
रेड्डी ने कहा, ‘‘मैं भारत के माननीय गृह मंत्री के साथ सीधे तौर पर इस मामले में नहीं शामिल होना चाहता, जिनका संवैधानिक कर्तव्य और दायित्व वैचारिक मतभेदों के बावजूद, प्रत्येक नागरिक के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करना है।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘दूसरी बात, मैंने यह फैसला लिखा है। यह फैसला मेरा नहीं है, यह उच्चतम न्यायालय का है।’’
रेड्डी ने कहा कि उनके साथ पीठ में एक और न्यायाधीश भी बैठे थे और फैसले को ‘रद्द’ करवाने की बार-बार की गई कोशिशें नाकाम रहीं।
रेड्डी ने कहा, ‘‘मैं फैसले के गुण-दोषों पर कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि मुझे अपने साथियों ने सिखाया है कि किसी को अपने फैसले की महानता के बारे में नहीं बोलना चाहिए। इसका फैसला जनता को करना है। यह मेरा निजी दस्तावेज़ नहीं है।’’
रेड्डी ने कहा, ‘‘काश, माननीय गृह मंत्री ने खुद पूरा फैसला पढ़ लिया होता, बजाय इसके कि उन्हें किसी से जानकारी मिले, मुझे नहीं पता… उनके पास लगभग 40 पन्नों का फैसला पढ़ने के लिए इतना समय नहीं रहा होगा। अगर उन्होंने फैसला पढ़ा होता, तो शायद उन्होंने यह टिप्पणी नहीं की होती। मैं बस इतना ही कहूंगा और यहीं समाप्त करता हूं।’’
विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने कहा कि वह इस मामले पर और टिप्पणी करके बहस की मर्यादा को भंग नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘‘बहस में शालीनता होनी चाहिए।’’
केरल में शुक्रवार को भाजपा नेता शाह ने कहा, ‘‘सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने नक्सलवाद को बढ़ावा दिया। उन्होंने सलवा जुडूम पर फैसला सुनाया। अगर सलवा जुडूम पर फैसला नहीं सुनाया गया होता, तो नक्सली उग्रवाद 2020 तक खत्म हो गया होता। वह वही व्यक्ति हैं जो सलवा जुडूम पर फैसला देने वाली विचारधारा से प्रेरित थे।’’
उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश के रूप में विदेशों में जमा काले धन पर दिए गए अपने फैसलों के लिए जाने जाने वाले बी सुदर्शन रेड्डी ने शनिवार को कहा कि देश की संपत्ति वापस लानी होगी और यह काम जारी है।
उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश के रूप में रेड्डी ने काले धन के मामलों की जांच में ‘ढिलाई’ बरतने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकारों की आलोचना करते हुए फैसले दे चुके हैं। उन्होंने विदेशों से काला धन वापस लाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का भी आदेश दिया था।
रेड्डी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह काम अभी जारी है… यह महत्वपूर्ण है। देश की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न माध्यमों और तंत्रों के जरिए देश से बाहर चला गया है। इसे वापस लाना होगा। यह हमारा पैसा है, आपका पैसा है, मेरा पैसा है और देश की संपत्ति है।’’
भाषा
संतोष माधव
माधव

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