Sarna Dharm Code: धर्म से जुड़े जिस कानून को ठुकरा चुकी है मोदी सरकार उसे फिर से लागू करने की मांग, PM को लिखा इस CM ने पत्र | Sarna Dharm Code Kya Hain

Sarna Dharm Code: धर्म से जुड़े जिस कानून को ठुकरा चुकी है मोदी सरकार उसे फिर से लागू करने की मांग, PM को लिखा इस CM ने पत्र

Sarna Dharm Code: धर्म से जुड़े जिस कानून को ठुकरा चुकी है मोदी सरकार उसे फिर से लागू करने की मांग, PM को लिखा इस CM ने पत्र

Edited By :   September 27, 2023 / 12:58 PM IST

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। (Sarna Dharm Code Kya Hain) यह पत्र उन्होंने सरना कोड लागू करने के संबंध में लिखा है। सीएम सोरेन ने बताया है कि वह एक आदिवासी बहुल राज्य के सीएम है लिहाजा सरना धर्म के लोगों की हितों की रक्षा का दायित्व उनके कंधो पर है।

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हेमंत सोरेन ने अपने पत्र में जिक्र किया है कि आज पूरा विश्व बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण की रक्षा को लेकर चिंतित है। ऐसे में जिन लोगों के लिए उनका धर्म ही प्रकृति की पूजा और उसकी रक्षा है ऐसे में अगर इस दिशा में कोई फैसला लिया गया तो पूरी दुनिया में प्रकृति प्रेम का सन्देश फैलेगा।

क्या है सरना धर्म कोड?

बता दे कि भारत में आदिवासी समुदाय का एक हिस्सा हिंदू नहीं बल्कि सरना धर्म को मानता है। इनके मुताबिक सरना वो लोग हैं जो प्रकृति की पूजा करते हैं। झारखंड में इस धर्म को मानने वालों की सबसे ज्यादा 42 लाख आबादी है। ये लोग खुद को प्रकृति का पुजारी बताते हैं और मूर्ति पूजा में यकीन नहीं करते हैं।

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मोदी सरकार ठुकरा चुकी है प्रस्ताव

झारखंड के आदिवासियों को जनगणना में अलग से धर्म कोड का प्रस्ताव केंद्र सरकार ठुकरा चुकी है। इस बार लिखे गए पत्र से इतर पूर्व में भी इस संबंध में विभिन्न आदिवासी संगठनों के आग्रह पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कहा था कि यह संभव नहीं है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने कहा है कि पृथक धर्म कोड, कॉलम या श्रेणी बनाना व्यावहारिक नहीं होगा। अगर जनगणना में धर्म के कॉलम के अतिरिक्त नया कॉलम या धर्म कोड आवंटित किया गया तो बड़ी संख्या में पूरे देश में ऐसी और मांगे उठेंगी। फिलहाल जनगणना में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन इन छह धर्मो को 1 से 6 तक के कोड नंबर दिए जाते हैं। बता दे कि भारत की 2011 की जनगणना में पूरे देश में 40,75,246 लोगों ने अपना धर्म सरना दर्ज कराया था। इसमें सर्वाधिक झारखंड में 34,50,523, ओडिशा में 3,53,520, पश्चिम बंगाल में 2,24,704, बिहार में 43,342, छत्तीसगढ़ में 2450 और मध्य प्रदेश में 50 लोगों ने खुद का धर्म सरना बताया था।

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