नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय गुजरात के मोरबी में पुल टूटने की घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई सूचीबद्ध करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया। इस हादसे में 130 लोगों की जान चली गई थी।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने अधिवक्ता विशाल तिवारी की दलील का संज्ञान लिया, जिन्होंने जनहित याचिका दायर की थी और विषय पर तत्काल सुनवाई की जरूरत का जिक्र किया।
पीठ ने सवाल किया, ‘‘मुझे देर से कागजात मिले। हम इसे सूचीबद्ध करेंगे। क्या तात्कालिकता है?’’
अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इस विषय पर तत्काल सुनवाई किये जाने की जरूरत है क्योंकि देश में काफी संख्या में पुराने ढांचे हैं।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विषय पर प्राथमिकता के अनुसार सुनवाई की जाए।
पीठ ने कहा, ‘‘इसे सूचीबद्ध किया जाएगा।’’
खबरों के अनुसार, 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर स्थित ब्रिटिश शासन युग के पुल के टूटने की घटना में 134 लोगों की जान चली गई।
तिवारी ने याचिका में कहा कि हादसे ने लापरवाही और सरकारी प्राधिकारों की नाकामी को प्रदर्शित किया है।
पीआईएल में कहा गया है कि पिछले दशक में, हमारे देश में कई हादसे हुए, जिनमें कुप्रबंधन, कर्तव्य में चूक और रखरखाव में कोताही के कारण काफी जनहानि हुई, जिन्हें टाला जा सकता था।
तिवारी ने याचिका में, घटना की जांच के लिए शीर्ष न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित किये जाने का अनुरोध किया है।
याचिका में, राज्यों को पुराने स्मारकों एवं पुलों का जोखिम आकलन और सर्वेक्षण करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। इसमें राज्यों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि इस तरह की घटना होने पर तत्काल जांच के लिए एक निर्माण घटना जांच विभाग का गठन किया जाए।
भाषा
सुभाष माधव
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