अपने क्षेत्र से बाहर विज्ञापन प्रकाशित करने से रोकने संबंधी याचिका पर केंद्र, राज्यों को नोटिस

अपने क्षेत्र से बाहर विज्ञापन प्रकाशित करने से रोकने संबंधी याचिका पर केंद्र, राज्यों को नोटिस

अपने क्षेत्र से बाहर विज्ञापन प्रकाशित करने से रोकने संबंधी याचिका पर केंद्र, राज्यों को नोटिस
Modified Date: November 29, 2022 / 08:20 pm IST
Published Date: September 26, 2022 7:24 pm IST

नयी दिल्ली, 26 सितम्बर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों को अपनी सीमा से बाहर विज्ञापन प्रकाशित करने से रोकने के निर्देश संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार एवं राज्यों से सोमवार को जवाब तलब किया।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा सभी राज्यों को नोटिस जारी किये।

शीर्ष अदालत गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘कॉमन कॉज’ की ओर से दायर उस याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें अपनी सीमा के बाहर विज्ञापन प्रकाशित करने से राज्यों को रोकने के निर्देश देने की मांग की गयी है।

 ⁠

पीठ ने शुरू में याचिका की सुनवाई को लेकर अनिच्छा जाहिर की, लेकिन संक्षिप्त चर्चा के बाद इसने प्रतिवादियों से जवाब तलब करने का निर्णय लिया।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम किसी राज्य सरकार को अपनी सीमा से बाहर विज्ञापन प्रकाशित करने से कैसे रोक सकते हैं?’’

इसने कहा, ‘‘(संभव है) राज्य सरकार दूसरे राज्यों की जनता को अपने कामकाज के बारे में बताकर अपने यहां कारोबार आकर्षित करना चाह रही हो। वे निवेश आकर्षित करना चाहती हों और यह बताना चाहती हों कि हम सड़क, बिजली, पर्यटन आदि से जुड़ी बुनियादी संरचनाएं तैयार कर रही हैं।’’

एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि राज्यों का निवेश आकर्षित करने से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह महज अपने कार्यों को प्रोजेक्ट करने की रणनीति है।

भूषण ने कहा, ‘‘सरकारी राजस्व जनकल्याण के लिए होते हैं, न कि विभाजनकारी राजनीतिक विज्ञापनों के लिए।’’ उन्होंने आगे कहा कि ऐसे विज्ञापन चुनाव के समय प्रकाशित किये जाते हैं।

इस पर पीठ ने जवाब दिया, ‘‘यही लोकतंत्र है मिस्टर भूषण। जन प्रतिनिधि देश को यह अवगत कराने के लिए अधिकृत हैं कि हम बहुत अच्छे हैं। हम कैसे उन्हें रोक सकते हैं? यह देश का दिल और आत्मा है। राजनीति प्रतिस्पर्धी होती है।’’

भूषण ने कहा कि दूसरा पहलू है कि एडवर्टोरियल मुकम्मल तौर पर समाचार की तरह प्रकाशित होते हैं और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।

इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक सरकार अपने फैसलों की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी करती है।

भूषण ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड से दी जा रही राहत का विज्ञापन उन राज्यों में दिया जा रहा है, जहां चुनाव होने वाले हैं। इसके बाद पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी करने का निर्णय लिया।

भाषा सुरेश नरेश

नरेश


लेखक के बारे में