चुनाव से पहले मुफ्त चीजों की घोषणा के खिलाफ याचिका पर विचार करने से अदालत का इनकार

चुनाव से पहले मुफ्त चीजों की घोषणा के खिलाफ याचिका पर विचार करने से अदालत का इनकार

चुनाव से पहले मुफ्त चीजों की घोषणा के खिलाफ याचिका पर विचार करने से अदालत का इनकार
Modified Date: February 12, 2025 / 04:37 pm IST
Published Date: February 12, 2025 4:37 pm IST

नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को चुनाव से पहले राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की योजनाओं और धनराशि से जुड़े वादों के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले से ही इसी तरह के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय में जाएं, जो दो पहलुओं पर मामले की सुनवाई कर रहा है – मतदाताओं को मुफ्त में अनेक चीज देना और क्या यह भ्रष्टाचार है। याचिकाकर्ता एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके दो पहलू हैं, मुफ्त की चीजें और क्या यह भ्रष्टाचार है। यह मामला पहले से ही उच्चतम न्यायालय में लंबित है। उच्चतम न्यायालय ने दोनों मुद्दों पर विचार किया है… बेहतर होगा कि आप वहां अभियोजन में शामिल हों और अदालत की मदद करें।’’

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उसने कहा कि एक मुद्दे पर दो समानांतर मुकदमे नहीं हो सकते।

पीठ ने कहा, ‘‘इस जनहित याचिका में जो विषय है, उस पर पहले से ही उच्चतम न्यायालय विचार कर रहा है और तदनुसार, हम इस स्तर पर इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।’’

हालांकि अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक ‘महत्वपूर्ण और बड़ा मुद्दा’ उठाया है। याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की मांग की और पीठ ने इसकी अनुमति दे दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा, जो याचिकाकर्ता हैं, ने राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त चीजें देने की घोषणा पर आपत्ति जताई और कहा कि पूरी चुनाव प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन है। हालांकि, यह याचिका दिल्ली चुनाव से कुछ दिन पहले दायर की गई थी, लेकिन बुधवार को इस पर सुनवाई हुई।

उनके वकील ने कहा कि याचिका में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार वितरित करने के उद्देश्य से मतदाताओं के डेटा एकत्र करने का मुद्दा भी उठाया गया है।

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के वकील ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय अश्विनी कुमार उपाध्याय मामले में मुफ्त उपहारों के मुद्दे पर पहले से ही विचार कर रहा है।

भाषा वैभव रंजन

रंजन


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