न्यायालय ने केरल के छात्र को हिरासत में रखे जाने के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार किया

न्यायालय ने केरल के छात्र को हिरासत में रखे जाने के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार किया

न्यायालय ने केरल के छात्र को हिरासत में रखे जाने के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार किया
Modified Date: November 29, 2022 / 07:53 pm IST
Published Date: October 21, 2022 2:14 pm IST

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस मां की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसका बेटा कानून का छात्र है और उसे असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए केरल के एक कानून के तहत पिछले चार महीने से हिरासत में रखा गया है।

प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि महिला जिसका बेटा हिरासत में है, उनका वकील अपने इस तर्क को साबित करने में विफल रहा कि राज्य सलाहकार बोर्ड ने नजरबंदी के खिलाफ उनके मामले का समर्थन किया था।

इसके बाद वकील ने याचिका वापस ले ली।

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केरल के कोझीकोड की मूल निवासी जशीला टीएम ने मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।

बंदी की मां ने कहा कि वह 110 दिनों से अधिक समय से निवारक हिरासत में है और केरल उच्च न्यायालय ने सितंबर में कानून प्रवर्तन अधिकारियों को उसकी नजरबंदी पर कानून विभाग की राय लेने के लिए समय दिया था।

याचिका में बिना किसी देरी के छात्र को हिरासत में लिए जाने के आदेश को रद्द करने और उसे रिहा करने का अनुरोध किया गया था।

वकील के. वर्गीज ने बृहस्पतिवार को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया था।

प्रधान न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार को इसे कल के लिए सूचीबद्ध करने को कहा था।

याचिका में केरल, केरल असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत सलाहकार बोर्ड और गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पक्षकार बनाया गया था।

भाषा नरेश नरेश देवेंद्र

देवेंद्र


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