कर्नाटक के पूर्व मंत्री को 2016 के हत्याकांड में आत्मसमर्पण के लिए और समय देने से न्यायालय का इनकार

कर्नाटक के पूर्व मंत्री को 2016 के हत्याकांड में आत्मसमर्पण के लिए और समय देने से न्यायालय का इनकार

कर्नाटक के पूर्व मंत्री को 2016 के हत्याकांड में आत्मसमर्पण के लिए और समय देने से न्यायालय का इनकार
Modified Date: June 13, 2025 / 04:10 pm IST
Published Date: June 13, 2025 4:10 pm IST

नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री विनय आर कुलकर्णी की आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी।

भाजपा नेता योगेश गौड़ा की 2016 में हत्या के सिलसिले में उनकी जमानत रद्द होने के एक सप्ताह बाद यह फैसला आया।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कुलकर्णी के वकील द्वारा यह कहे जाने के बाद याचिका खारिज कर दी कि उन्हें इस सप्ताह होने वाली बैठक में भाग लेना है।

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कुलकर्णी के वकील ने कहा, ‘‘मैं समय बढ़ाने की मांग कर रहा हूं क्योंकि मैं एक मौजूदा विधायक और कर्नाटक जल आपूर्ति बोर्ड का अध्यक्ष हूं। मुझे इस सप्ताह होने वाली एक बैठक में भाग लेना है। कृपया मुझे एक सप्ताह की छूट दें।’’

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘नहीं। अनुरोध खारिज किया जाता है। अदालत के आदेश के अनुसार आत्मसमर्पण करें।’’

इससे पहले 6 जून को शीर्ष अदालत ने भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौड़ा की हत्या से संबंधित 2016 के मामले में कुलकर्णी को दी गई जमानत रद्द कर दी थी। उसने यह देखते हुए आदेश पारित किया था कि रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री है जिससे पता चलता है कि कुलकर्णी द्वारा गवाहों से संपर्क करने या वैकल्पिक रूप से उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया गया था।

उसने कुलकर्णी को शुक्रवार से एक सप्ताह के भीतर संबंधित निचली अदालत या जेल प्राधिकरण के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।

बेंगलुरु की एक निचली अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के माध्यम से कर्नाटक राज्य द्वारा दायर एक अपील पर शीर्ष अदालत ने इस साल अप्रैल में आदेश पारित किया था।

सीबीआई ने कुलकर्णी सहित दो आरोपियों को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग करते हुए निचली अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया।

निचली अदालत ने इस तथ्य के मद्देनजर कुलकर्णी के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि उन्हें शीर्ष अदालत के अगस्त 2021 के आदेश के अनुसार जमानत दी गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि दोनों आरोपियों ने अभियोजन पक्ष के खिलाफ गवाही देने के लिए अपने दोस्तों और परिचित व्यक्तियों के माध्यम से कुछ गवाहों से संपर्क करने का प्रयास किया।

सीबीआई ने तर्क दिया था कि आरोपियों ने प्रभाव डालने की कोशिश की और अभियोजन पक्ष के गवाहों से संपर्क करने और उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि निचली अदालत, उसके द्वारा लगाई गई जमानत शर्तों के उल्लंघन के आधार पर जमानत रद्द करने की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करने की हकदार है, भले ही उसने जमानत दी हो।

सीबीआई ने गौड़ा की हत्या में कथित संलिप्तता के लिए नवंबर 2020 में कुलकर्णी को गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने अपने अगस्त 2021 के आदेश में कहा कि कुलकर्णी को तीन दिन के भीतर संबंधित निचली अदालत में पेश किया जाए और अदालत द्वारा लगाई जाने वाली शर्तों के तहत उन्हें जमानत दी जाए।

भाजपा जिला पंचायत सदस्य गौड़ा की जून 2016 में धारवाड़ जिले में उनके जिम में हत्या कर दी गई थी। सितंबर 2019 में राज्य सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

कुलकर्णी ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। सीबीआई ने पहले मामले में कई आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए थे।

भाषा वैभव पवनेश

पवनेश


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