वृद्ध, अशक्त कैदियों की समयपूर्व रिहाई के अनुरोध वाली अर्जी पर केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

वृद्ध, अशक्त कैदियों की समयपूर्व रिहाई के अनुरोध वाली अर्जी पर केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

वृद्ध, अशक्त कैदियों की समयपूर्व रिहाई के अनुरोध वाली अर्जी पर केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब मांगा
Modified Date: November 29, 2022 / 07:55 pm IST
Published Date: September 19, 2022 8:44 pm IST

नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां की जेलों से वृद्ध और अशक्त कैदियों की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर सोमवार को केंद्र, दिल्ली सरकार और महानिदेशक (जेल) से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एक वकील द्वारा 60 साल से अधिक उम्र की महिला और तृतीय लिंगी कैदियों, 65 साल से अधिक उम्र के पुरुष कैदियों और अशक्त कैदियों (आजीवन दोषियों को छोड़कर) की समयपूर्व रिहाई की मांग करते हुए लिखे गए एक पत्र का स्वत: संज्ञान लिया।

उच्च न्यायालय की जनहित याचिका समिति ने पत्र को जनहित याचिका मानने की सिफारिश की थी। उच्च न्यायालय की पीठ ने मामले को 13 फरवरी, 2023 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

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अधिवक्ता अमित साहनी ने अपने पत्र अभ्यावेदन में कहा है कि इन श्रेणियों के कैदियों की समय से पहले रिहाई पर अखिल भारतीय जेल सुधार समिति (मुल्ला समिति 1980-83) और आदर्श जेल नियमावली – 2003 की सिफारिशों के अनुसार विचार किया जाना चाहिए और ऐसे कैदियों को उनकी वास्तविक सजा (छूट सहित) के एक तिहाई से गुजरने के बाद रिहा किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा है कि समाज की रक्षा और अपराधियों के पुनर्वास के समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए जेल/कैदियों के कल्याण के व्यापक परिप्रेक्ष्य में मुल्ला समिति (1980-83) और मॉडल जेल नियमावली 2003 की सिफारिशों के बावजूद, उन्हें दिल्ली की जेलों द्वारा लागू नहीं किया गया है।

अभ्यावेदन में कहा गया है कि दुर्भाग्य से, मुल्ला समिति और मॉडल जेल नियमावली 2003 के संदर्भ में वृद्ध दोषियों (आजीवन दोषियों के अलावा), महिला दोषियों और अशक्त कैदियों को समय से पहले रिहाई के लिए विचार नहीं किया गया।

अभ्यावेदन के अनुसार, देश की जेलों और विशेष रूप से दिल्ली की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं।

भाषा अमित माधव

माधव


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