न्यायालय ने एमबीबीएस दाखिले में जाति प्रमाणपत्र घोटाले से संबंधित याचिकाएं अपने हाथ में लीं

न्यायालय ने एमबीबीएस दाखिले में जाति प्रमाणपत्र घोटाले से संबंधित याचिकाएं अपने हाथ में लीं

न्यायालय ने एमबीबीएस दाखिले में जाति प्रमाणपत्र घोटाले से संबंधित याचिकाएं अपने हाथ में लीं
Modified Date: January 29, 2024 / 12:14 pm IST
Published Date: January 29, 2024 12:14 pm IST

नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एमबीबीएस की आरक्षित श्रेणी की सीट के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताओं के आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने के मुद्दे पर कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो पीठ में टकराव से संबंधित याचिकाएं सोमवार को अपने हाथ में ले लीं।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि उसने इस मुद्दे से संबंधित सभी मामलों को अपने हाथ में लेने का फैसला किया है और तीन सप्ताह की अवधि में दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया है।

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे।

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पीठ ने कहा, ‘‘हम याचिकाओं को ठीक तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करेंगे।’’

शीर्ष अदालत की पीठ पहले इस विवाद को निपटाने के लिए 27 जनवरी को अवकाश के दिन बैठी थी, जहां एक असहमत न्यायाधीश ने खंडपीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसने उनके निर्देश को रद्द कर दिया था। खंडपीठ ने सीबीआई जांच का निर्देश देने के साथ केंद्रीय एजेंसी को जांच आगे बढ़ने के न्यायाधीश के निर्देश को रद्द कर दिया था।

विवादास्पद न्यायिक स्थिति को हल करने के प्रयास के तहत पीठ ने शनिवार को कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो पीठों के बीच टकराव के मद्देनजर ‘‘मामला अपने हाथ में लेने’’ और सभी कार्यवाही पर रोक लगाने का फैसला किया।

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने खंडपीठ के न्यायाधीश सौमेन सेन पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के हितों के लिए सीबीआई जांच के उनके आदेश को खारिज करने का आरोप लगाया था।

भाषा सुरभि संतोष

संतोष


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