विधेयकों पर न्यायालय का फैसला लोकतंत्र और संघवाद की जीत: केरल के कानून मंत्री

विधेयकों पर न्यायालय का फैसला लोकतंत्र और संघवाद की जीत: केरल के कानून मंत्री

विधेयकों पर न्यायालय का फैसला लोकतंत्र और संघवाद की जीत: केरल के कानून मंत्री
Modified Date: April 13, 2025 / 04:38 pm IST
Published Date: April 13, 2025 4:38 pm IST

कोच्चि/कोझिकोड, 13 अप्रैल (भाषा) केरल के कानून मंत्री पी. राजीव ने रविवार को कहा कि राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों के संबंध में राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने वाला उच्चतम न्यायालय का फैसला लोकतंत्र को कायम रखने वाला फैसला है।

राजीव ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय अन्य देशों में प्रचलित नियमों, पूर्व में सुनाए गए फैसलों तथा सरकारिया आयोग, पंछी आयोग और वेंकटचलैया आयोग सहित विभिन्न आयोगों की सिफारिशों की गहन जांच के बाद आया है।

राजीव ने कोच्चि में संवाददाताओं से कहा, ‘‘कानून के छात्र होने के नाते मुझे लगता है कि यह काफी व्यापक निर्णय है, जिसमें सभी पहलुओं की व्यापक रूप से जांच की गई है। यह लोकतंत्र और संघवाद सहित संविधान के मूल सिद्धांतों को और मजबूत करता है।’’

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उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यपाल को राज्य के हितों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।

इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की राज्य हकाई के सचिव एम वी गोविंदन ने भी विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों के संबंध में शीर्ष अदालत के फैसले की सराहना की।

उन्होंने कोझिकोड में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ भारत में बढ़ती फासीवादी प्रवृत्तियों और नरेन्द्र मोदी सरकार के हिंदुत्व एजेंडे को लागू करने के जारी प्रयासों की पृष्ठभूमि में उच्चतम न्यायालय का फैसला देश को कानून के शासन में आशा देता है।’’

दरअसल उच्चतम न्यायालय ने हाल के अपने एक निर्णय में पहली बार यह निर्धारित किया है कि राज्यपाल द्वारा रोके गए और राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखे गए विधेयकों पर उन्हें तीन महीने की अवधि के भीतर निर्णय लेना चाहिए।

भाषा शोभना प्रशांत

प्रशांत


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