दस से अधिक वर्षों से विज्ञान, कला सबसे लोकप्रिय वर्ग, वाणिज्य स्थिर: शिक्षा मंत्रालय |

दस से अधिक वर्षों से विज्ञान, कला सबसे लोकप्रिय वर्ग, वाणिज्य स्थिर: शिक्षा मंत्रालय

दस से अधिक वर्षों से विज्ञान, कला सबसे लोकप्रिय वर्ग, वाणिज्य स्थिर: शिक्षा मंत्रालय

:   Modified Date:  May 31, 2023 / 06:48 PM IST, Published Date : May 31, 2023/6:48 pm IST

नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) विज्ञान और कला पिछले 10 वर्षों में छात्रों के बीच सबसे लोकप्रिय वर्ग रहे हैं, जबकि वाणिज्य चुनने वाले छात्रों की संख्या स्थिर है और इसका चयन केवल 14 प्रतिशत छात्र करते हैं। यह बात शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए एक अध्ययन से सामने आयी है।

अध्ययन कक्षा 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा परिणामों का आकलन है और इसमें कहा गया है राज्यों में वर्ग के चयन में काफी भिन्नताएं हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में केवल 2 प्रतिशत छात्र कला वर्ग चुनते हैं, लेकिन त्रिपुरा और गुजरात जैसे राज्यों में 82 प्रतिशत से अधिक छात्र इस वर्ग का चयन करते हैं जबकि पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में ऐसे छात्रों का प्रतिशत 70 से ऊपर है।’’

इसके अनुसार इसी तरह, पंजाब, हरियाणा और असम में विज्ञान वर्ग की लोकप्रियता बेहद कम है, जहां सिर्फ 17 प्रतिशत छात्र इसका चयन करते हैं, जबकि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में 60 प्रतिशत से अधिक छात्र कक्षा 12 के बाद अध्ययन के लिए विज्ञान चुनते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘गोवा और कर्नाटक में, प्रमुख वर्गों में छात्रों का वितरण लगभग समान है।’’

शिक्षा मंत्रालय द्वारा कक्षा 10 और 12 के परीक्षा परिणामों के मूल्यांकन में विभिन्न बोर्ड के छात्रों के प्रदर्शन में बड़ा अंतर, उत्तीर्ण प्रतिशत में भिन्नता और छात्रों के लिए समान अवसर नहीं होने जैसी चुनौतियों की पहचान की गई है।

मूल्यांकन में यह भी इंगित किया गया है कि शीर्ष पांच बोर्ड (उत्तर प्रदेश, सीबीएसई, महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल) में लगभग 50 प्रतिशत छात्र आते हैं और शेष 50 प्रतिशत छात्र देशभर के 55 बोर्ड में पंजीकृत होते हैं।

स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार के अनुसार, विभिन्न राज्यों के उत्तीर्ण प्रतिशत में अंतर के कारण शिक्षा मंत्रालय अब देश के विभिन्न राज्यों के सभी 60 स्कूल बोर्ड के लिए मूल्यांकन स्वरूप को मानकीकृत करने पर विचार कर रहा है।

वर्तमान में, भारत में तीन केंद्रीय बोर्ड हैं – केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशंस (सीआईएससीई) और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस)। इनके अलावा, विभिन्न राज्यों के अपने राज्य बोर्ड हैं, जिससे स्कूल बोर्ड की कुल संख्या 60 हो गई है।

अध्ययन में विभिन्न राज्य बोर्ड के परिणामों में भिन्नता को समझने के लिए आंध्र प्रदेश, असम, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के राज्य बोर्ड के कक्षा 10वीं और 12वीं के परिणामों का विश्लेषण किया गया।

रिपोर्ट के आधार पर सभी राज्यों को मूल्यांकन के मानकीकरण प्रक्रिया पर काम करने को कहा गया है।

कुमार ने कहा, ‘‘इस संबंध में इस महीने की शुरुआत में एक बैठक हुई थी जिसमें राज्यों के साथ प्रस्तुतिकरण साझा किया गया था और एक सामान्य मूल्यांकन प्रणाली विकसित करने के बारे में चिंताओं पर चर्चा की गई थी।’’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्कूल छोड़ने वाले छात्रों में 85 प्रतिशत 11 राज्य से आते हैं। ये राज्य हैं उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और छत्तीसगढ़।

रिपोर्ट में राज्य बोर्ड में उच्च अनुत्तीर्ण दर के संभावित कारणों में प्रति स्कूल प्रशिक्षित शिक्षकों की कम संख्या शामिल है। इसका कम सकल पंजीकरण अनुपात (जीईआर) में प्रभाव होता है, साथ ही वैश्विक सूचकांकों में भारत की समग्र रैंक भी प्रभावित होती है।

भाषा अमित माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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