नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) वैश्विक स्तर पर समुद्र स्तर में बढ़ोतरी के साथ ही स्थानीय कारकों की वजह से समुद्र के स्तर में सापेक्ष वृद्धि से दुनिया के सबसे बड़े डेल्टा के बड़े हिस्से सदी के अंत से पहले ही गायब हो सकते हैं। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है।
समुद्र स्तर में सापेक्ष वृद्धि में डूबती हुई भूमि को भी ध्यान में रखा जाता है। यह समुद्र के बढ़ते स्तर के असर को और कई गुणा कर देता है। भूजल का दोहन और हाइड्रोकार्बन के उत्खनन जैसे स्थानीय कारक धसान की स्थिति पैदा करते हैं। वहीं तटीय वनस्पति, जो कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकती है, कृषि भूमि और पर्यटन के लिए जगह तैयार करती है।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों को ऐसे प्रमाण मिले हैं कि समुद्र के स्तर में वृद्धि से नहीं बल्कि धंसती हुई भूमि वैश्विक डेल्टा क्षेत्र को सबसे अधिक जोखिम में डालती है।
स्टैनफोर्ड नेचुरल कैपिटल प्रोजेक्ट के एक प्रमुख वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख लेखक राफेल श्मिट के अनुसार नदी डेल्टा के प्रबंधन के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। श्मिट ने कहा, ‘‘समुद्र स्तर में बढ़ोतरी नहीं बल्कि मानवीय गतिविधियों के कारण डूबती हुई भूमि तटीय आबादी को सबसे अधिक जोखिम में डालती है।’’
उन्होंने कहा डेल्टा क्षेत्र के लिए इस प्रासंगिक वैश्विक जोखिम पर बहुत ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ है।
समुद्र के स्तर में सापेक्ष वृद्धि के स्थानीय और क्षेत्रीय कारकों के बारे में बहुत कम जानकारी है। यह नया अध्ययन दुनिया के प्रमुख डेल्टा क्षेत्र में भूमि अपरदन और जोखिम के प्रमुख कारकों की पहचान करने के लिए निर्धारित किया गया है।
दुनिया की सबसे अधिक उत्पादक भूमि में से एक नदी डेल्टा में रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका खतरे में है। नदी के डेल्टा अक्सर समुद्र तल से कुछ मीटर ऊपर होते हैं।
भाषा आशीष माधव
माधव
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