धारा 17ए का उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना : आंध्र प्रदेश सरकार ने न्यायालय से कहा

धारा 17ए का उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना : आंध्र प्रदेश सरकार ने न्यायालय से कहा

धारा 17ए का उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना : आंध्र प्रदेश सरकार ने न्यायालय से कहा
Modified Date: October 10, 2023 / 09:10 pm IST
Published Date: October 10, 2023 9:10 pm IST

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) आंध्र प्रदेश सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू का भ्रष्टाचार के मामले में जांच से पहले पूर्वानुमति को अनिवार्य करने वाले प्रावधान के तहत सुरक्षा का दावा अस्वीकार्य है, क्योंकि यह कोई ऐसी ‘छतरी’ नहीं है, जिसके नीचे भ्रष्ट लोग छिप सकें, बल्कि इसका उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना है।

धारा 17ए 26 जुलाई, 2018 से एक संशोधन द्वारा लाई गई थी। संबंधित प्रावधान किसी पुलिस अधिकारी के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत किसी लोकसेवक द्वारा किए गए कथित अपराध की जांच के वास्ते सक्षम प्राधिकारी से पूर्व मंजूरी लेने की अनिवार्य आवश्यकता निर्धारित करता है।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ को आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि कौशल विकास निगम घोटाला मामले में गिरफ्तार तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू के निणर्यों और कार्यों के चलते भारी भ्रष्टाचार हुआ और राजकोष को नुकसान पहुंचा।

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रोहतगी ने कहा, ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए कोई ऐसी छतरी नहीं है, जहां भ्रष्टाचारी छिप सकें, बल्कि इसका उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना है, जो अपने आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में निर्णय लेने से डरते हैं। अधिनियम भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कोई बाधा उत्पन्न नहीं करता है। यह भ्रष्टाचार को खत्म करने और ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करने का संसद का प्रयास है।’’

उन्होंने कहा कि कार्रवाई किसी ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ से नहीं की गई है, जैसा कि नायडू ने आरोप लगाया है।

दो घंटे से अधिक समय तक चली सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति बोस ने रोहतगी से पूछा कि क्या धारा 17ए की सुरक्षात्मक छतरी को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जा सकता है।

रोहतगी ने कहा, ‘नहीं, आप धारा 17ए को समय से पीछे नहीं ले जा सकते। वे यही करना चाहते हैं। धारा 17ए 2018 में लाई गई, फिर इसे 2015 में कैसे लागू किया जा सकता है? यह तभी किया जा सकता है, जब संसद विशेष रूप से ऐसा कहे।’

शीर्ष अदालत कौशल विकास निगम घोटाला मामले में प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली नायडू की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई बेनतीजा रही और 13 अक्टूबर को जारी रहेगी।

शुरुआत में, नायडू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि पुलिस को लोकसेवक की भूमिका के बारे में जांच शुरू करने से पहले राज्यपाल की सहमति लेनी चाहिए थी।

नायडू को 2015 में मुख्यमंत्री रहते हुए कौशल विकास निगम से धन का कथित दुरुपयोग करने के मामले में गत नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था, जिससे राज्य के खजाने को 371 करोड़ रुपये का कथित नुकसान हुआ था।

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप


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