डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44(3) आरटीआई को कमजोर करती है, इसे निरस्त किया जाये: ‘इंडिया’ गठबंधन

डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44(3) आरटीआई को कमजोर करती है, इसे निरस्त किया जाये: ‘इंडिया’ गठबंधन

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  • Publish Date - April 10, 2025 / 04:00 PM IST,
    Updated On - April 10, 2025 / 04:00 PM IST

नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन ने बृहस्पतिवार को ‘डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण’ (डीपीडीपी) अधिनियम की धारा 44(3) को निरस्त करने की मांग करते हुए दलील दी कि यह सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून को कमजोर करती है।

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के 120 से अधिक सांसदों ने इस धारा को निरस्त करने के लिए एक संयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपा जायेगा।

संवाददाता सम्मेलन में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता एमएम अब्दुल्ला, शिवसेना (उबाठा) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता जॉन ब्रिटास, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता जावेद अली खान और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता नवल किशोर शामिल हुए।

गोगोई ने कहा कि नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44(3) का विरोध किया है, जिसके जरिये आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जे) को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।

आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) के तहत व्यक्तिगत जानकारी देने से रोकने की अनुमति दी गई है, यदि उसका खुलासा किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से संबंधित नहीं है या इससे निजता का अनुचित उल्लंघन होता है।

यह प्रतिबंध हालांकि एक महत्वपूर्ण सुरक्षा के अधीन है: यदि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, राज्य लोक सूचना अधिकारी, या अपीलीय प्राधिकारी यह निर्धारित करते हैं कि सूचना का खुलासा करने से व्यापक जनहित में मदद मिलेगी, तो इसे उपलब्ध कराया जा सकता है।

डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44(3) आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) में संशोधन करती है, जो सरकारी निकायों को ‘‘व्यक्तिगत जानकारी’’ देने से प्रतिबंधित करती है, जिसमें सार्वजनिक हित या किसी अन्य अपवाद पर विचार नहीं किया जाता है।

भाषा देवेंद्र सुरेश

सुरेश