एसजीपीसी अपने आकाओं को बचाने के लिए अकालतख्त का इस्तेमाल ढाल के रूप में कर रही: मान
एसजीपीसी अपने आकाओं को बचाने के लिए अकालतख्त का इस्तेमाल ढाल के रूप में कर रही: मान
चंडीगढ़, 29 दिसंबर (भाषा) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) पर सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की 328 गुमशुदा प्रतियों को खोजने में विफल रहने का आरोप लगाया और उस पर अपने ‘आकाओं’ को बचाने के लिए ‘अकालतख्त को ढाल के रूप में इस्तेमाल करने’ का आरोप लगाया।
मान का यह बयान पांच सिंह साहिबानों, यानी पांच सिख धार्मिक पीठों के प्रमुखों द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से सिखों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने या पंथिक परंपराओं के अनुसार कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी देने के एक दिन बाद आया है। यह चेतावनी अमृतसर पुलिस द्वारा इस वर्ष सात दिसंबर को 2020 में स्वरूपों के लापता होने के मामले में एक पूर्व एसजीपीसी मुख्य सचिव सहित 16 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद दी गई है।
मान ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से पंजाबी और संगत (सिख आध्यात्मिक समूह) गहरे दुख में हैं क्योंकि लापता स्वरूपों को खोजने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लेकिन प्राथमिकी दर्ज होने के तुरंत बाद एसजीपीसी ने ‘अपने आकाओं के निर्देशों पर’ संवाददाता सम्मेलन करना शुरू कर दिया और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ ‘जहर उगलना’ शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘एसजीपीसी प्रमुख ने खुद स्वीकार किया है कि सर्वोच्च गुरुद्वारा निकाय में प्रतिदिन 10-20 घोटाले होते हैं, जो श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए गोलक (नकदी पेटी) के पैसे के घोर दुरुपयोग का संकेत देते हैं।’
मुख्यमंत्री ने एसजीपीसी के एक पुराने प्रस्ताव का हवाला देते हुए दावा किया कि इसमें गुमशुदा स्वरूपों के मामले में कानूनी कार्रवाई की वकालत की गई थी। मान ने कहा, ‘एसजीपीसी की अंतरिम समिति ने 2020 की बैठक में अपने दोषी कर्मचारियों और प्रकाशकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रस्ताव पारित किया था।’
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
भाषा आशीष माधव
माधव

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