Sharad Pawar praised Adani in his biography

अडानी के मुद्दे पर विपक्षी एकता में बड़ी दरार, शरद पवार ने अडानी को बताया था ‘मेहनती और सरल’

मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था, ''वह अदाणी ग्रुप के खिलाफ जेपीसी की मांग के पूरी तरह खिलाफ नहीं है, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक समिति अधिक प्रभावी होगी।'

Edited By :   Modified Date:  April 9, 2023 / 05:24 PM IST, Published Date : April 9, 2023/5:24 pm IST

Sharad Pawar praised Adani: लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल जहाँ एक साथ चुनावों में उतरने और भाजपा को पटखनी देने का मन बना रहे हैं तो उनकी इस योजना पर अभी से ग्रहण लगता नजर आ रहा हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गौतम अडानी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जिस मुद्दे को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर हैं वही कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार की अडानी के लिए की गई पुरानी तारीफ एक बार फिर से चर्चा में आ गई हैं। शरद पवार ने 2015 में गौतम अडानी को ‘सरल और मेहनती’ बताया था। वही पिछले दिनों भी उन्होंने अडानी की आलोचनाओं पर उनका बचाव किया था।

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दरअसल 2015 में प्रकाशित अपनी मराठी आत्मकथा ‘लोक भूलभुलैया संगति’ में पवार ने अदाणी की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘कड़ी मेहनत, सरल, जमीन से जुड़े और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बड़ा योगदान देने की महत्वाकांक्षा रखने वाला’ बताया था। पवार ने ये भी लिखा है कि अदाणी ने उनके कहने पर ही थर्मल पॉवर सेक्टर में कदम रखा था। पवार ने अपनी किताब में बताया है कि कैसे अदाणी ने मुंबई के स्थानीय लोगों में एक सेल्समैन के रूप में अपना कॉर्पोरेट साम्राज्य खड़ा किया। हीरा उद्योग में अपनी किस्मत आजमाने से पहले छोटे उद्यमों में काम किया।

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Sharad Pawar praised Adani: बता दे की इन दिनों हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष के ज्यादातर नेता गौतम अदाणी के जरिए सरकार पर हमलावर हैं। खासतौर पर राहुल गांधी लगातार गौतम अदाणी का नाम लेकर पीएम मोदी को घेरने में जुटे हैं। विपक्ष में शामिल होने के बावजूद एनसीपी ने गौतम अदाणी का बचाव किया।

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मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था, ”वह अदाणी ग्रुप के खिलाफ जेपीसी की मांग के पूरी तरह खिलाफ नहीं है, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक समिति अधिक प्रभावी होगी।’ पवार ने कहा, ‘जेपीसी में 21 सदस्य होते हैं, इसमें 15 सदस्य सत्ता पक्ष की तरफ से होंगे और छह सदस्य विपक्ष की तरफ से होंगे। ऐसे में सच्चाई का आना कहां तक संभव है।’

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