सरकारी बंगला खाली करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शरद यादव ने शीर्ष अदालत का रुख किया

सरकारी बंगला खाली करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शरद यादव ने शीर्ष अदालत का रुख किया

सरकारी बंगला खाली करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शरद यादव ने शीर्ष अदालत का रुख किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: March 24, 2022 10:07 pm IST

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिसमें उन्हें इस आधार पर यहां एक सरकारी बंगला 15 दिनों के भीतर खाली करने का निर्देश दिया गया है कि उन्हें 2017 में राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था और इसलिए इसे बरकरार रखने का कोई औचित्य नहीं हो सकता।

उच्च न्यायालय ने 15 मार्च को यह कहते हुए यादव को यहां 7, तुगलक रोड स्थित बंगला 15 दिनों के भीतर सरकार को सौंपने’ का निर्देश दिया था कि उन्हें एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए चार साल से अधिक समय बीत चुके हैं।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी अर्जी में यादव ने कहा है कि वह 22 साल से वहां रह रहे हैं और उच्च न्यायालय ने आदेश पारित किया है, हालांकि अदालत ने उनकी ‘‘अनुचित और गलत अयोग्यता’’ को उनकी ओर से दी गई चुनौती पर अभी निर्णय नहीं किया है।

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अधिवक्ता जावेदुर रहमान के माध्यम से दायर अर्जी में कहा गया है, ‘‘उक्त आदेश के संदर्भ में, ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च न्यायालय ने एक निस्तारित अर्जी को पुनर्जीवित किया है और 15 दिसंबर, 2017 के उच्च न्यायालय के पूर्ववर्ती अंतरिम आदेश को दरकिनार करते हुए आगे के आदेश पारित किए हैं और याचिकाकर्ता को …. अपने आधिकारिक निवास का कब्जा 15 दिनों की अवधि के भीतर सौंपने का निर्देश दिया है, इस तथ्य के बावजूद कि राज्यसभा से उनकी अयोग्यता की वैधता को चुनौती देने वाली अर्जी अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।’’

75 वर्षीय यादव ने अर्जी में कहा है कि उनका मामला उनके खराब स्वास्थ्य के कारण ‘‘सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के योग्य’’ है। इसमें कहा गया है कि वह जुलाई 2020 से 13 बार अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं और आखिरी बार फरवरी में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी।

याचिका में कहा गया है कि यादव को 4 दिसंबर, 2017 को संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2(1)(ए) के तहत राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ दी थी। वह तब बिहार के सत्तारूढ़ जद (यू) के सांसद थे, जिसने पटना में एक विपक्षी रैली में भाग लेने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी।

याचिका में अंतरिम राहत के रूप में, उच्च न्यायालय के 15 मार्च के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। अर्जी में कहा गया है कि यादव ने एक रिट याचिका के माध्यम से अयोग्यता के आदेश को चुनौती दी है।

भाषा अमित उमा

उमा


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