शिमला: ‘तू’ कहने पर आईजीएमसी में डॉक्टर और मरीज के बीच हाथापाई
शिमला: ‘तू’ कहने पर आईजीएमसी में डॉक्टर और मरीज के बीच हाथापाई
शिमला, 23 दिसंबर (भाषा) शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) के पल्मोनरी वार्ड में ‘तू’ कहकर संबोधित किए जाने पर आपत्ति जताने को लेकर एक वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर और मरीज के बीच सोमवार को हाथापाई हो गई। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि अस्पताल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसमें शामिल डॉक्टर को तुरंत निलंबित कर दिया।
घटना से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जा रहा है। वीडियो में डॉ. राघव नरूला (31) को मरीज अर्जुन सिंह (34) के चेहरे पर मुक्का जड़ते देखा जा सकता है। इसके बाद शिमला के कुपवी निवासी अर्जुन को भी डॉ. राघव को लात-घूसे मारते देखा जा सकता है।
अर्जुन के मुताबिक, वह ब्रॉन्कोस्कोपी कराने के लिए आईजीएमसी गया था और प्रक्रिया के बाद उसे सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई।
उसने बताया कि विवाद तब शुरू हुआ, जब डॉ. राघव ने उससे उसकी मेडिकल रिपोर्ट मांगी।
अर्जुन के अनुसार, “डॉ. राघव ने मुझे ‘तू’ कहकर संबोधित किया। मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और मैं ऑक्सीजन देने के लिए कह रहा था। मैंने डॉ. राघव के ‘तू’ कहने पर आपत्ति जताई। वह उम्र में मुझसे छोटे हैं, इसलिए मैंने उनसे कहा कि उन्हें ‘तू’ की जगह ‘तुम’ शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए।”
अर्जुन ने आरोप लगाया कि जब उसने डॉ. राघव से पूछा कि क्या वह अपने परिवार से भी इसी तरह से बात करते हैं, तो वह भड़क गए और उसे मुक्का मारने लगे।
चोपल विधानसभा क्षेत्र के सर्वदलीय मंडल ने मंगलवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात कर डॉ. राघव और उनके सहयोगी को बर्खास्त करने की मांग की।
चोपल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक बलबीर वर्मा ने कहा कि इस घटना ने “राज्य को शर्मसार किया है।”
उन्होंने कहा, “हमारे यहां तो घायल दुश्मन को भी न पीटने की संस्कृति है। एक डॉक्टर की ओर से किया गया यह कृत्य शर्मनाक है।”
वर्मा ने कहा कि अर्जुन एक सभ्य व्यक्ति हैं, जो पिछले 15 वर्षों से एक स्थानीय अकादमी में पढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि डॉ. राघव का निलंबन काफी नहीं है और उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए तथा उनके खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए, क्योंकि हमले के समय मरीज पहले से ही सांस लेने में तकलीफ की शिकायत से जूझ रहा था।
अर्जुन के पिता ने डॉ. राघव के कृत्य को “अमानवीय” करार दिया और कहा कि वह चिकित्सा के पेशे में सेवा देने के योग्य नहीं हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को घटना से जुड़े सभी तथ्यों पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की। उन्होंने मामले की जांच बुधवार (24 दिसंबर) तक पूरी कर लेने और जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
सुक्खू ने कहा कि हर संस्थान में पेशेवरों को विनम्र, शांत और संयमित व्यवहार दिखाना चाहिए, क्योंकि यह न केवल व्यक्ति के चरित्र को दर्शाता है, बल्कि संस्थान की छवि को भी प्रदर्शित करता है।
उन्होंने कहा कि आईजीएमसी से शिक्षा प्राप्त डॉक्टरों ने भारत और विदेश दोनों जगहों पर राज्य को पहचान दिलाई है, तथा सोमवार को संस्थान में हुई घटना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी संस्थान में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुक्खू ने चिकित्सा शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया कि मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट के रूप में शामिल होने वाले डॉक्टरों को ‘इंडक्शन ट्रेनिंग’ प्रदान की जाए।
उन्होंने सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर की नियुक्ति की प्रक्रिया की विस्तार से समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।
स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल ने आईजीएमसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में इस तरह की घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण और अकल्पनीय” बताया।
उन्होंने कहा, “डॉ. राघव को निलंबित कर दिया गया है। ऐसे व्यक्तियों को इस पेशे में रहने का कोई अधिकार नहीं है।”
शांडिल ने कहा, “सभी पहलुओं की जांच की जा रही है और वार्ड में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों व अन्य लोगों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। बुधवार सुबह तक एक विस्तृत रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद आवश्यक कार्रवाई शुरू की जाएगी।”
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि घटना में डॉक्टर के सहायक की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जो वीडियो में मरीज के पैर पकड़ने की कोशिश करते हुए दिख रहा है।
हालांकि, आईजीएमसी के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने डॉ. राघव का बचाव किया।
एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि जब मरीज से उसके मेडिकल रिकॉर्ड के बारे में पूछा गया, तो उसने डॉक्टर से “दुर्व्यवहार किया और उन्हें अपशब्द कहे।”
एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि आरोप लगाया कि मरीज ने डॉक्टर को लात मारकर झगड़ा शुरू किया। उसने दावा किया कि वायरल वीडियो अधूरा है और इसमें केवल एक पक्ष की कहानी दिखाई गई है।
एसोसिएशन ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग भी की।
वहीं, डॉ. राघव ने आरोप लगाया कि मरीज और उसके रिश्तेदारों ने उन्हें “जान से मारने की धमकी” दी।
घटना के कारण सोमवार को आईजीएमसी में भारी हंगामा हुआ। अर्जुन के रिश्तेदारों, दोस्तों और अन्य मरीजों ने डॉ. राघव की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, जिसके बाद अधिकारियों को स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद लेनी पड़ी।
आईजीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक राहुल राव ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है। उन्होंने बताया कि शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर उच्च अधिकारियों ने घटना में शामिल डॉक्टर को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया।
राव ने बताया कि पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार घटना की गहन जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।
भाषा पारुल माधव
माधव

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