प्रयागराज, 31 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय को सूचित किया कि इटावा के एक मुर्दाघर में पिछले तीन साल से रखे गए एक महिला के कंकाल के डीएनए के नमूने उस परिवार के नमूनों से मेल नहीं खाते हैं जिसने दावा किया था कि यह अज्ञात शव उनकी बेटी रीता का है।
सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि परिवार ने कंकाल पर दावा इस आधार पर किया था कि शव के पास मिले कुछ कपड़े उनकी बेटी के थे।
अपर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि डीएनए जांच में उन्हें कंकाल के जैविक माता पिता नहीं मिले। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 20 नवंबर 2023 को तय कर दी।
इससे पूर्व, 26 अक्टूबर को स्वतः संज्ञान लेते हुए अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर 26 अक्टूबर को कहा था, “अखबार की खबर में इटावा के एक मुर्दाघर में पिछले तीन वर्ष से रखे गए एक महिला के शव के बारे में बताया गया है। उस शव की शिनाख्त विवादित है। एक परिवार ने दावा किया है कि शव उनकी लापता बेटी रीता का है।”
अदालत ने सरकार से इस मामले की केस डायरी और जांच की स्थिति का विवरण उपलब्ध कराने को कहा था।
अदालत ने यह जानकारी भी उपलब्ध कराने को कहा था कि किस तिथि को जांच के नमूने लिए गए और उन्हें कब डीएनए जांच के लिए हैदराबाद स्थित फोरेंसिक प्रयोगशाला भेजा गया।
भाषा राजेंद्र नेत्रपाल नोमान
नोमान
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