सोनिया गांधी से अनुरोध है वह नेहरू के पत्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय को लौटा दें: शेखावत

सोनिया गांधी से अनुरोध है वह नेहरू के पत्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय को लौटा दें: शेखावत

सोनिया गांधी से अनुरोध है वह नेहरू के पत्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय को लौटा दें: शेखावत
Modified Date: December 28, 2025 / 06:50 pm IST
Published Date: December 28, 2025 6:50 pm IST

(दीपक रंजन)

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रविवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पत्रों व दस्तावेजों को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय को लौटाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज देश की संपत्ति हैं, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं।

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शेखावत ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि अरावली पहाड़ियों का विवाद कांग्रेस द्वारा एक गैर-जरूरी मुद्दे को मुद्दा बनाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

मंत्री ने नेहरू के पत्रों और दस्तावेजों के बारे में कहा, “नेहरू मेमोरियल संग्रहालय एवं पुस्तकालय की स्थापना प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद हुई थी, जिसका नाम 2023 में बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय कर दिया गया था। संग्रहालय के प्रबंधन के लिए एक समिति का गठन किया गया था, लेकिन वह ठीक से कार्य नहीं कर पाई।”

संस्कृति मंत्री ने कहा कि 1970 से 1990 तक 20 वर्षों की अवधि में नेहरू से संबंधित सभी गैर-सरकारी दस्तावेज़ संग्रहालय में लाए गए, इनमें नेहरू द्वारा लोगों को लिखे गए निजी पत्र, उनके उत्तर और उनकी निजी टिप्पणियां हैं।

शेखावत ने कहा, “सभी प्रधानमंत्रियों के ऐसे ही दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय में संरक्षित हैं। ऐसे लगभग 2.5 करोड़ दस्तावेज हैं। इनमें से अकेले पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित चार लाख दस्तावेज हैं।”

उन्होंने कहा कि अन्य प्रधानमंत्रियों के दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय की स्थायी संपत्ति व विरासत हैं जबकि यह लिखा गया है कि नेहरू के दस्तावेज संग्रहालय को ऋण या उपहार के रूप में नहीं दिए गए थे बल्कि सुरक्षित रखने के लिए दिए गए थे।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 29 अप्रैल, 2008 को सोनिया गांधी के निर्देश पर उनके प्रतिनिधि एम.वी. राजन ने एक पत्र लिखकर नेहरू के सभी निजी पारिवारिक पत्रों और नोट्स को वापस लेने का अनुरोध किया था।

इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि चूंकि ये पत्र संग्रहालय में सुरक्षित रखे गए थे इसलिए परिवार द्वारा मांगे गए पत्र उन्हें लौटा दिए जाएं।

इसी क्रम में लगभग 26,000 दस्तावेजों से भरे लगभग 57 बॉक्स संग्रहालय से ले जाए गए।

शेखावत ने कहा, “हमने इन्हें लौटाने का अनुरोध किया है। सोनिया गांधी ने कहा है कि वह इस मामले पर गौर करेंगी। क्योंकि स्वाभाविक रूप से ये मंत्री पद से संबंधित दस्तावेज किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं हो सकते। हमने उन्हें दो पत्र लिखे हैं, हम एक बार फिर उनसे इन्हें लौटाने का आग्रह करते हैं।”

उन्होंने अरावली पहाड़ियों के विवाद पर कहा, “यह मामला कांग्रेस द्वारा एक गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, अरावली को बचाने की आड़ में अदालत के बयानों का दुरुपयोग कर राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास किया गया। लेकिन जैसे ही स्पष्टीकरण नोटिस जारी हुआ, सब कुछ स्पष्ट हो गया।”

उच्चतम न्यायालय द्वारा 20 नवंबर को अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं के लिए केंद्र द्वारा प्रस्तावित परिभाषा को स्वीकार किये जाने के बाद विवाद शुरू हुआ।

भाषा जितेंद्र नरेश

नरेश


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