हिंदी बोलना मातृभाषा का अपमान नहीं : केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी

हिंदी बोलना मातृभाषा का अपमान नहीं : केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी

हिंदी बोलना मातृभाषा का अपमान नहीं : केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी
Modified Date: July 11, 2025 / 04:36 pm IST
Published Date: July 11, 2025 4:36 pm IST

हैदराबाद, 11 जुलाई (भाषा) केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि कभी-कभी होने वाले हिंदी विरोधी आंदोलन बड़े पैमाने पर ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ होते हैं और हिंदी बोलने को किसी की मातृभाषा के अपमान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

केंद्र सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा उसकी स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘दक्षिण संवाद’ को संबोधित करते हुए रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जो किसी एक भाषा से नहीं बल्कि साझा आदर्शों और राष्ट्रीय प्रतिबद्धता से एकजुट है।

भाजपा नेता ने कहा कि हिंदी (राजभाषा) को हमारी मातृभाषाओं के साथ-साथ सीखा और सम्मान दिया जाना चाहिए।

 ⁠

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह हिंदी में बात करने की कोशिश करते हैं क्योंकि इससे उन्हें देश भर के लोगों से संवाद करने में मदद मिलती है और ऐसा करना उनकी मातृभाषा तेलुगु के खिलाफ नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग हिंदी के खिलाफ बोलते हैं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन करते हैं, वह भाषा से जुड़ा आंदोलन नहीं है। यह राजनीतिक आंदोलन है। यह वोट बैंक की राजनीति है। जब भी चुनाव होते हैं, चुनाव से पहले कुछ लोग हिंदी-विरोधी, हिंदू-विरोधी भाषण देकर लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं। यह गलत है।’’

रेड्डी ने कहा, ‘‘भले ही हमारी मातृभाषाएं अलग-अलग हों, लेकिन एक राष्ट्र के रूप में हम सभी एक हैं।’’

उन्होंने महात्मा गांधी, बी.आर. आंबेडकर, सी.वी. रमन और अन्य महान हस्तियों द्वारा मातृभाषा के महत्व पर जोर दिए जाने का उल्लेख किया।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने हिंदी को बढ़ावा देने और देश भर में भाषाई एकता को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए राजभाषा विभाग की सराहना की।

उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल भाषा के माध्यम से विविधता में एकता के बंधन को मजबूत करती है। हरिवंश ने पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव जैसे गैर-हिंदी राज्यों के नेताओं के हिंदी के क्षेत्र में योगदान को याद किया।

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा कि हिंदी सीखने से किसी की पहचान से समझौता नहीं होता, बल्कि उसे और मजबूती मिलती है।

भाषा शफीक पवनेश

पवनेश


लेखक के बारे में