विशेष गहन पुनरीक्षण का मतलब है सरकार मतदाताओं को चुनती है: परकाला प्रभाकर
विशेष गहन पुनरीक्षण का मतलब है सरकार मतदाताओं को चुनती है: परकाला प्रभाकर
कोलकाता, 22 नवंबर (भाषा) अर्थशास्त्री परकाला प्रभाकर ने शनिवार को दावा किया कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मतलब है कि सरकार मतदाताओं को चुन रही है न कि मतदाता सरकार को।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर का मकसद ‘उन लोगों’ को बाहर निकालना है जिनके बारे में सरकार को लगता है कि उन्हें देश में नहीं होना चाहिए।
प्रभाकर ने कहा कि निर्वाचन आयोग पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों में जो एसआईआर कर रहा है, उसका ‘देश के संवैधानिक मूल्यों, संवैधानिक भावना और संवैधानिक नैतिकता पर गंभीर असर पड़ेगा।’
उन्होंने ‘द एजुकेशनिस्ट्स फोरम, पश्चिम बंगाल’ नामक एक समूह के संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। इस संगठन को तृणमूल कांग्रेस का समर्थक माना जाता है।
उन्होंने दावा किया, ‘एसआईआर में सरकार मतदाताओं को चुनती है, न कि मतदाता सरकार को चुनते हैं।’
अर्थशास्त्री और राजनीतिक टिप्पणीकार प्रभाकर ने कहा कि एसआईआर की शुरुआत इसलिए की गई क्योंकि सरकार बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण एनआरसी की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पा रही थी।
उन्होंने कहा, ‘यह पिछले दरवाजे से कदम उठाने के अलावा कुछ नहीं है…एसआईआर के रूप में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी)-सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) का पिछले दरवाजे से प्रवेश उन लोगों को बाहर करने के लिए है, जिन्हें उनके हिसाब से यहां नहीं होना चाहिए।’
राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण सिर्फ़ एक परीक्षण था। उन्होंने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण असल में पश्चिम बंगाल के लिए है।
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘एसआईआर मतदाता सूची का संशोधन नहीं है; यह मतदाता सूची को फिर से तैयार करना है।’
यादव ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी से यह सुनिश्चित करने की अपील करते हैं कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से बाहर न रहे।
भाषा आशीष माधव
माधव

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