राज्य सीमा विवाद: अधिकारी स्तर की वार्ता के लिए मिजोरम की प्रतिनिधिमंडल 24 अप्रैल को असम जाएगा
राज्य सीमा विवाद: अधिकारी स्तर की वार्ता के लिए मिजोरम की प्रतिनिधिमंडल 24 अप्रैल को असम जाएगा
आइजोल, 16 अप्रैल (भाषा) असम और मिजोरम के बीच वर्षों से जारी सीमा विवाद के समाधान के लिए अधिकारी स्तर की वार्ता के लिहाज से मिजोरम का सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 24 अप्रैल को गुवाहाटी जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि मिजोरम के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गृह सचिव वनलालमाविया करेंगे, जबकि असम की टीम का नेतृत्व वहां के सीमा सुरक्षा एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव या सचिव द्वारा किए जाने की संभावना है।
अधिकारी ने बताया कि दोनों राज्यों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक 25 अप्रैल को गुवाहाटी में होगी।
उन्होंने बताया कि बैठक में अगले दौर की मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए आधारभूत कार्य और तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इस दौरान सीमा मुद्दे से संबंधित तकनीकी पहलुओं पर भी विचार किया जाएगा।
पिछले दौर की मंत्रिस्तरीय वार्ता पिछले वर्ष नौ अगस्त को आइजोल में आयोजित की गई थी।
मंत्री स्तर की बैठम में मिजोरम के गृह मंत्री के सपदांगा और असम के सीमा सुरक्षा एवं विकास मंत्री अतुल बोरा भी शामिल हुए।
इस दौरान दोनों राज्यों ने इस वर्ष 31 मार्च से पहले गुवाहाटी में मंत्रिस्तरीय बैठक का अगला दौर आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की थी। हालांकि यह बैठक नहीं हो सकी थी।
इस बीच, सपदांगा ने आगामी अधिकारी स्तरीय वार्ता से पहले बुधवार को मिजोरम सीमा समिति की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें 25 अप्रैल की वार्ता के दौरान प्रस्तुत किये जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों की समीक्षा की गई।
सपदांगा ने कहा कि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि मिजोरम की सीमा सुरक्षित रहे। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए ‘‘बड़े पैमाने पर प्रयास’’ चल रहे हैं कि मिजोरम अपनी जमीन नहीं गंवाए।
मिजोरम के तीन जिले – आइजोल, कोलासिब और ममित – असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों के साथ 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
दशकों पुराना सीमा विवाद मुख्य रूप से ब्रिटिश राज के दौरान दो परस्पर विरोधाभासी सीमांकनों से उपजा है। ब्रिटिश शासन के दौरान पहला सीमांकन 1875 में बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन (बीईएफआर) के तहत किया गया जबकि दूसरी बार 1933 में किया गया।
मिजोरम का दावा है कि 1875 में बीईएफआर के तहत चिह्नित इनर लाइन रिजर्व फॉरेस्ट (आईएलआरएफ) के 509 वर्ग मील क्षेत्र पर उसका वैध अधिकार है।
इसके विपरीत, असम 1933 में भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा तैयार किये गए मानचित्र द्वारा निर्धारित सीमा को अपनी संवैधानिक सीमा बताता है।
भाषा धीरज वैभव
वैभव

Facebook



