नाबालिग अनाथ को मुआवजा देने से इनकार करने पर राज्य को फटकार
नाबालिग अनाथ को मुआवजा देने से इनकार करने पर राज्य को फटकार
प्रयागराज, नौ दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग अनाथ बच्चे को मुआवजा देने से इनकार करने पर राज्य सरकार के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए इसे नीति का मजाक करार दिया।
इस बच्चे के माता पिता की एक रेल दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
अदालत ने कहा कि राज्य के अधिकारियों ने मृत्यु के प्रमाण की कमी का हवाला देते हुए राहत देने से इनकार कर दिया, जबकि केंद्र सरकार पहले ही दावे का सत्यापन कर चुकी है और राहत का अपना हिस्सा जारी कर चुकी है।
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों से एक जिम्मेदार ढंग से व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है।
न्यायमूर्ति अजित कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की पीठ आदर्श पांडेय नाम के नाबालिग बच्चे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने रेल दुर्घटना पीड़ितों के परिजनों के लिए सरकार द्वारा घोषित अनुग्रह राशि जारी करने की मांग के साथ अदालत का रुख किया था।
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिन दस्तावेजों के आधार पर अनुग्रह राशि जारी की, उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर राज्य सरकार के अधिकारियों को भुगतान जारी करना चाहिए था।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों ने पीड़ित के परिजनों के लिए वित्तीय राहत की घोषणा की थी। केंद्र ने आश्रितों के लिए पांच लाख रुपये सहायता का प्रस्ताव किया था और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी इसी तरह की घोषणा की थी।
सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर पुष्टि की कि केंद्र की ओर से पहले ही भुगतान किया जा चुका है। हालांकि, राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता के माता पिता की रेल दुर्घटना में मृत्यु होने का कोई प्रमाण नहीं है, इसलिए भुगतान नहीं किया जा सका।
अदालत ने 28 नवंबर को दिए अपने आदेश में कहा, “हमारे विचार से राज्य के विभाग में कार्यरत लोगों द्वारा यह नीति का मजाक बनाना है। जब केंद्र सरकार दस्तावेजों के आधार पर भुगतान कर चुकी है, तो उन दस्तावेजों को राज्य सरकार द्वारा भुगतान का आधार बनाया जाना चाहिए था।”
भाषा सं राजेंद्र शोभना
शोभना

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