नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) भाजपा ने सोमवार को संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य, वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू करने से इनकार नहीं कर सकते।
भाजपा ने इस कानून का लगातार विरोध करने के लिए कांग्रेस और ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के अन्य घटकों की आलोचना की।
भाजपा का यह बयान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक और झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि उनके लिए शरिया पहले है और उसके बाद संविधान, जबकि कर्नाटक के मंत्री बी.जेड. जमीर अहमद खान ने दावा किया था कि राज्य में यह कानून लागू नहीं किया जाएगा।
शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि यह अधिनियम पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा।
टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस मुद्दे पर उनके रुख को “गंभीर चिंता का विषय” बताया और कहा कि उन्होंने अपनी टिप्पणी से यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी पार्टियां सत्ता में बनी रहीं, तो संविधान खतरे में पड़ जाएगा।
उन्होंने उनकी टिप्पणियों को संविधान के मुख्य निर्माता बी.आर. आंबेडकर का अपमान भी बताया।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य ने कहा, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के बाद केंद्र, राज्य और जिला स्तर की सरकारों की शक्तियां स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं। कोई भी जिला पंचायत राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून से आगे नहीं जा सकती और कोई भी राज्य केंद्र (संसद) द्वारा पारित कानून को दरकिनार नहीं कर सकता।”
त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि उनके बयानों से पता चलता है कि उनमें संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है।
त्रिवेदी ने कहा, “वे (विपक्षी दल) संविधान को जेब में रखते हैं, जबकि भाजपा और राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) संविधान को अपने दिल में रखते हैं। यह उन लोगों के बीच की लड़ाई है, जो संविधान को जेब में रखते हैं और जो इसे अपने दिल में रखते हैं।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस सरकार ने 73वां और 74वां संशोधन पारित किया था, जिसे तब “क्रांतिकारी” कहा गया था। आज, वे अपनी ही सरकार द्वारा पारित संशोधनों को ध्वस्त करते दिख रहे हैं।”
कर्नाटक और झारखंड के मंत्रियों की टिप्पणियों को लेकर भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को उनके खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती दी।
उन्होंने कहा, “यदि वे कोई कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कांग्रेस और ‘इंडी’ गठबंधन के लिए शरिया का प्रतीक संविधान से ऊपर है।”
भाषा प्रशांत दिलीप
दिलीप
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